‘मन की बात’ में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से गरीबों पर भरोसा करने की बात कहते हुए सलाह दी कि ग़रीब के साथ ऐसा व्यवहार करने की आदत हो तो ज़रुर छोड़ दें।
जिस घटना को सुनका मोदी ने यह बात कही उसे नीचे पढें
‘‘प्रधानमंत्री जी, मैं पूना से अपर्णा बोल रही हूँ। मैं अपनी एक सहेली के बारे में बताना चाहती हूँ। वो हमेशा लोगों की मदद करने की कोशिश करती है लेकिन उसकी एक आदत देखकर मैं हैरान हो जाती हूँ। मैं एक बार उसके साथ शॉपिंग करने मॉल गयी थी। एक साड़ी पर उसने दो हज़ार रूपये बड़े आराम से खर्च कर दिए और पीज़ा पर 450/- रूपये, जबकि मॉल तक जाने के लिए जो ऑटो लिया था, उस ऑटो वाले से बहुत देर तक पाँच रूपये के लिए मोल-भाव करती रही।
वापस लौटते हुए रास्ते में सब्जी खरीदी और हर सब्जी पर फिर से मोल-भाव करके 4-5 रूपये बचाये। मुझे बहुत बुरा लगता है। हम बड़ी-बड़ी जगह एक बार भी बिना पूछे बड़े-बड़े भुगतान कर देते हैं और हमारे मेहनतकश भाई-बहनों से थोड़े से रुपयों के लिए झगड़ा करते हैं। उन पर अविश्वास करते हैं। आप अपनी ‘मन की बात’ में इस बारे में ज़रूर बताएँ।”’’
अब ये phone call सुनने के बाद, मुझे पक्का विश्वास है कि आप चौंक भी गये होंगे, चौकन्ने भी हो गये होंगे और हो सकता है आगे से ऐसी गलती न करने का मन में तय भी कर लिये होंगे। क्या आपको नहीं लगता है कि जब हम, हमारे घर के आस-पास कोई सामान बेचने के लिए आता है, कोई फेरी लगाने वाला आता है, किसी छोटे दुकानदार से, सब्ज़ी बेचने वालों से हमारा संबंध आ जाता है, कभी ऑटो-रिक्शा वाले से संबंध आता है – जब भी हमारा किसी मेहनतकश व्यक्ति के साथ संबंध आता है तो हम उससे भाव का तोल-मोल करने लग जाते हैं, मोल-भाव करने लग जाते हैं – नहीं इतना नहीं, दो रूपया कम करो, पाँच रुपया कम करो। और हम ही लोग किसी बड़े restaurant में खाना खाने जाते हैं तो बिल में क्या लिखा है देखते भी नहीं हैं, धड़ाम से पैसे दे देते हैं।
इतना ही नहीं showroom में साड़ी ख़रीदने जायें, कोई मोल-भाव नहीं करते हैं लेकिन किसी ग़रीब से अपना नाता आ जाये तो मोल-भाव किये बिना रहते नहीं हैं। ग़रीब के मन को क्या होता होगा, ये कभी आपने सोचा है ? उसके लिए सवाल दो रूपये – पांच रूपये का नहीं है। उसके ह्रदय को चोट पहुँचती है कि आपने वो ग़रीब है इसलिए उसकी ईमानदारी पर शक किया है।
दो रूपया – पांच रूपया आपके जीवन में कोई फ़र्क नहीं पड़ता है लेकिन आपकी ये छोटी-सी आदत उसके मन को कितना गहरा धक्का लगाती होगी कभी ये सोचा है ? मैडम, मैं आप का आभारी हूँ आपने इतना ह्रदय को छूने वाला phone call करके एक message मुझे दिया। मुझे विश्वास है कि मेरे देशवासी भी ग़रीब के साथ ऐसा व्यवहार करने की आदत होगी तो ज़रुर छोड़ देंगे।
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