नई दिल्ली, 09 जुलाई (जनसमा)। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल और जर्मनी की अपनी 5 दिन की यात्रा पूरी कर रविवार सुबह दिल्ली लौट आए। इस यात्रा को कई कारणों से ऐतिहासिक, भारत की विदेश नीति तथा प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि की सफलता के रूप में देखा जा सकता है। मोदी इजरायल की यात्रा करने वाले पहले प्रधान मंत्री बन गए हैं।
प्रधान मंत्री मोदी और इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच की गहरी कूटनीतिक समझ और निजी रचनात्मक व्यवहार ने दोनों देशों के बीच सहजता और सहयोग के नए आयाम खोले हैं। तीन दिनों की यात्रा के दौरान प्रधान मंत्री मोदी के साथ लगभग हर कार्यक्रम में नेतनयाहू रहे और उन्होंने हर स्ता पर अपनी गर्मजोशी दिखाई।
इन संबंधों का परिणाम है कि भारत और इजरायल सामरिक संबंधों और रक्षा सहयोग को बहुत आगे बढ़ाने के संकल्प के रूप में सहमत हुए हैं।
Photo :The Prime Minister, Shri Narendra Modi comes out of the venue after the conclusion of the 12th G-20 Summit, in Hamburg, Germany on July 08, 2017.
दोनों देशों ने कृषि और जल संरक्षण में द्विपक्षीय सहयोग के साथ-साथ नवाचार, प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भी रूपरेखा बनाई है। इस संदर्भ में 40 मिलियन डॉलर के संयुक्त टेक्नोलॉजी इनोवेशन फंड की स्थापना और भारत और इज़राइल के बीच प्रत्यक्ष हवाई सेवा की घोषणा भी महत्वपूर्ण है। दोनों देशों ने अन्य क्षेत्रों के अलावा अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
अपनी यात्रा के दूसरे चरण में प्रधान मंत्री ने हैम्बर्ग का दौरा किया और जी 20 देशों के 12 वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री मोदी की यथार्थवादी समझ के कारण जी 20 देशों के सदस्य देशों ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की ठोस योजना को गंभीरता से लिया और ठोस कदम उठाने के लिए वचनबद्ध हुए।
भारत ने शिखर सम्मेलन के दौरान दुनिया में आतंकवाद का सामना करने के लिए एक व्यापक 11 प्वाइंट की कार्य योजना प्रस्तावित की थी। इसे सदस्य देशों का व्यापक समर्थन मिला और वे सहमत हुए।
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