प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने 8 तारीख को बहुप्रतीक्षित करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) का उद्घाटन करेंगे।
आकाशवााणी के अनुसार करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) पर तीर्थयात्रियों, खाने-पीने के कियोस्क या स्टाॅल, पार्किंग क्षेत्र और सुरक्षा पाइंट्स की परेशानी मुक्त यात्रा सुनिश्चित की जारही है।
करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) पर तीर्थयात्रियों की हिफ़ाजत और मेजबानी के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों के साथ एक सुविधा केंद्र और अत्याधुनिक यात्री टर्मिनल भी 8 नवंबर तक तैयार हो जाएगा।
इस टर्मिनल का निर्माण 190 करोड़ रुपयों की लागत से किया जारहा है। टर्मिनल निर्माण के लिए भूमि पूजन जून महीने के अंतिम सप्ताह में किया गया था।
गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर (Gurdwara Darbar Sahib Kartarpur) आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण इस महीने की 20 तारीख को शुरू होने की उम्मीद है।
पांच हजार तीर्थयात्री हर दिन सिखों (Sikh) के पवित्र स्थल (holy site ) पर जा सकते हैं।
यह बात लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन ने पंजाब में डेरा बाबा नानक में बुद्धवार 16 अक्टूबर, 2019 को मीडिया से बात करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान अभी भी इस्लामाबाद के प्रत्येक तीर्थयात्री से 20 डॉलर वसूलने के आग्रह पर बातचीत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत पड़ोसी देश को इस तरह के आरोप नहीं लगाने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है।
मोहन ने कहा, करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) पर पाकिस्तान के लिए आगे की यात्रा और अत्याधुनिक यात्री टर्मिनल के लिए ‘चार-लेन राजमार्ग पर काम इस महीने के अंत तक पूरा हो जाएगा।
उन्होंने कहा, पाकिस्तान ने निर्माण को टाल दिया है लेकिन आश्वासन दिया है कि वह समय में काम पूरा करेगा।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से पुल और सड़क की अनुपलब्धता के कारण एक वैकल्पिक सड़क का निर्माण ‘ज़ीरो पाइंट’ तक किया जा रहा है।
पाकिस्तान तीर्थयात्रियों को सुविधा केंद्र के किनारे तक ले जाने और उन्हें वापस छोड़ने के लिए ‘ज़ीरो पाइंट’ तक परिवहन प्रदान करेगा।
मोहन ने कहा कि करतारपुर में दरबार साहिब जाने के लिए तीर्थयात्रियों को सीमा पार करने के लिए पासपोर्ट की आवश्यकता होगी।
करतारपुर गुरूद्वारा ( Kartarpur Gurdwara)
पाकिस्तान में नरोवाल जिले की शकरगढ तहसील में स्थित करतारपुर (Kartarpur) में गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Devji) ने अविभाजित भारत में गुरूद्वारा स्थापित किया था।
यह मान्यता है कि सिख धर्म के पहले गुरु, गुरू नानकदेव द्वारा रावी नदी के दाहिने किनारे पर 1504 में गुरूद्वारा स्थापित किया था।
करतारपुर (Kartarpur) का अर्थ है “ईश्वर का स्थान”।
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