भोपाल , 24 अगस्त (जनसमा)। संभवतः मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जहां सरकार महिलाओं की माहवारी के संदर्भ में सेनिटरी नेपकीन नष्ट करने के लिये मड इंसीनिरेटर के उपयोग को बढ़ावा देगी।
मध्यप्रदेश की महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने यह जानकारी बुधवार को विधानसभा में आयोजित विभाग के मैदानी अधिकारियों की कार्यशाला में दी।
( जनसमाचार की टिप्पणी: स्पष्ट रूप से यह व्यवस्था स्वच्छता के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है और प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान का एक राष्ट्रव्यापी अभियान भी बन सकता है। यह भारतीय समाज के मानसिक रूप से विकसित होने का स्वस्थ लक्षण भी कहा जासकता है।)
उन्होंने बताया कि माहवारी प्रबंधन के अंतर्गत सेनिटरी नेपकीन नष्ट करने के लिये मड इंसीनिरेटर के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये पूरे प्रदेश में प्रयास किये जा रहे हैं।
श्रीमती चिटनिस ने कार्यशाला में बताया कि उपयोग किये हुए सेनिटरी नेपकिन गंदगी तथा बीमारी फैलाने का एक प्रमुख कारण है। इनके किफायती निपटान के लिये मड इंसीनिरेटर बनाने तथा उनकी सहज उपलब्धता सुनिश्चत करने के लिये माटी कला बोर्ड से बातचीत की जा रही है और जिला स्तर पर कुम्हारों का पंजीयन किया जा रहा है।
विधानसभा परिसर में आयोजित इस कार्यशाला में महिला-बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव जे.एन. कंसोटिया, आयुक्त एकीकृत बाल-विकास परियोजना श्रीमती पुष्पलता सिंह तथा आयुक्त महिला सशक्तिकरण श्रीमती जयश्री कियावत भी उपस्थित थीं।
चिटनिस ने कहा है कि पुलिस में महिलाओं के लिये आरक्षण के बाद महिलाओं के लिये पर्याप्त पद विद्यमान है। बालिकाओं को पुलिस भर्ती परीक्षा तथा फिजिकल फिटनेस संबंधी प्रशिक्षण के लिये विभाग द्वारा जिला स्तर पर व्यवस्था की जा रही है।
प्रदेश के 423 परियोजना अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रमुख सचिव कंसोटिया ने कहा कि आँगनवाड़ियों की मॉनिटरिंग के प्रति विशेष संवदेनशील रहें। आँगनवाड़ी संचालन एकीकृत बाल-विकास परियोजना की कोर सेवा है।
कार्यशाला में बताया गया कि आँगनवाड़ियों की मॉनीटरिंग के लिये पर्यवेक्षकों को टेबलेट तथा डॉटापेक उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। इस अवसर पर मोबाइल एप की कार्यप्रणाली का भी प्रदर्शन किया गया।
कार्यशाला में बताया गया कि आँगनवाड़ी में दर्ज बच्चों के सीखने के स्तर में सुधार तथा उन्हें शाला पूर्व शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये आँगनवाड़ी दीदी का प्रावधान किया जा रहा है। आँगनवाड़ी क्षेत्र की बारहवीं उत्तीर्ण बालिकाओं को यह जिम्मेदारी दी जायेगी।
कार्यशाला में लाड़ली लक्ष्मी योजना, शौर्या दल, वन स्टॉप सेन्टर, विशेष पोषण अभियान, लालिमा तथा पंचवटी से पोषण कार्यक्रम, राष्ट्रीय झूलाघर योजना और इन्टीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम के अंतर्गत संचालित गतिविधियों की बिन्दुवार समीक्षा की गई।
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