सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपनाएं नई प्रौद्योगिकी : अहलूवालिया

कोलकाता, 14 अगस्त | प्रौद्योगिकी आधारित डिजिटल बैंकिंग सेवा के युग में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को नई तकनीक अपनाने में लचीला रवैया रखना चाहिए। यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो वे बाजार से अपनी हिस्सेदारी खो देंगे। योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह ने यह बात रविवार को कही।

“जनधन, मोबाइल टेलीफोनी जैसी योजनाएं आपसी सहयोग से चलने वाली हैं, ऐसे में बैंकों के सुचारू संचालन के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने निायमक में परिवर्तन कर दिया है। बैंक अब आधार पद्धति से दूर से भी पहचान कर सकते हैं। ..इन सभी को एक साथ लाकर बैंक बिना किसी व्यक्ति की बैंक में मौजूदगी के कार्य कर सकते हैं।

प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा, “अब बैंकों को एक दूसरे से अपनी प्रतिस्पर्धा के लिए कुछ अलग करना है। और जो कुछ अलग करेंगे वे अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में कामयाब होंगे। इस संदर्भ में मैं सोचता हूं, निजी बैंक अधिक लचीलापन रखते हैं। ”

उन्होंने कहा, “सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कुछ हद तक अपने अतीत के विरासत के बोझ से दबे हैं। उन्हें (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक) नई तकनीकी के इस्तेमाल में लचीलापन दिखाना होगा, नहीं तो वे अपनी बाजार हिस्सेदारी खो देंगे। ”

पूर्व छात्र संघ द्वारा आयोजित ग्लोसिन बिजनेस स्कूल ब्रांड शिखर सम्मेलन में अहलूवालिया ने कहा, ” यह अच्छा है कि वे दबाव में हैं, उन्हें सोचने की जरूरत है कि इन परिस्थितियों से निपटने के लिए उनके पास नए तरीके क्या हैं। ”

डिजिटलीकरण पर उन्होंने कहा कि यह उत्पादकता बढ़ाने के साथ स्थापित व्यापार के तरीकों को भी खत्म कर रहा है। “व्यापार के नए तरीके प्रयोग में आ रहे हैं, इससे होने वाले लाभ की वजह से डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिलेगा। ”

–आईएएनएस