रेल मंत्री (Rail Minister) पीयूष गोयल ने रविवार 10 मई को को ट्वीट कर बताया कि भारतीय रेलवे पिछले छह दिनों से पूरी तैयारी के साथ कम समय में डेली बेसिस पर 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों (Shramik Special Trains) के संचालन कर रही हैं.
अपने दिशानिर्देशों में, रेलवे ने कहा है कि ट्रेनें (Trains) केवल तभी चलेंगी जब उनकी 90 प्रतिशत सीटें भर जाएं और राज्य टिकट का किराया इकट्ठा करें.
रेल मंत्री गोयल ने राज्यों से केंद्र के साथ सहयोग करने की अपील की है, ताकि देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे सभी प्रवासी श्रमिकों को अगले 3-4 दिनों में अपने घर वापस भेजा जा सके.
भारतीय रेलवे ने 1 मई से 350 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों (Shramik Special Trains) का संचालन किया है और देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे 3.6 लाख से अधिक प्रवासियों को घर भेजा है.
प्रत्येक श्रमिक स्पेशल ट्रेन (Shramik Special Trains) में 24 कोच हैं, जिनमें से प्रत्येक में 72 सीटें हैं. हालांकि, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को बनाए रखने के लिए कोच में केवल 54 लोगों को ही बैठने की इजाजत है और मिडिल बर्थ किसी भी पैसेंजर को अलॉट नहीं की जाती है.
रेलवे ने अभी तक विशेष सेवाओं पर खर्च की घोषणा नहीं की है, लेकिन अधिकारियों ने संकेत दिया कि इस दौरान प्रति सेवा लगभग 80 लाख रुपए खर्च किए हैं.
सरकार ने पहले कहा था कि सेवाओं की लागत राज्यों के साथ 85:15 (85 प्रतिशत केंद्र और 15 प्रतिशत राज्य) के अनुपात पर साझा की गई है.
श्रमिक स्पेशल ट्रेन (Shramik Special Trains) सेवा शुरू होने के बाद से, सबसे ज्यादा लोग गुजरात से उसके बाद केरल से गए हैं.
वहीं सबसे ज्यादा लोग बिहार और उत्तर प्रदेश में गए हैं.
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