राज्यसभा ने बुधवार 09 जनवरी को सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने वाला 124 वां संविधान संशोधन विधेयक पास कर दिया।
बिल के पक्ष में 165 और विरोध में केवल 7 वोट पड़े।
विधेयक पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय तय किया गया था किन्तु 10 घंटे तक सदस्यों ने अपने विचार रखे।
राज्य सभा के उप सभापति ने कहा कि सदस्यों ने अच्छी तरह से अपने विचार रखे।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने चर्चा के लिए बिल को राज्य सभा में पेश किया और कहा कि इसका उद्देश्य लाभार्थियों के आर्थिक और शैक्षिक सशक्तिकरण है।
यह बिल मंगलवार को लोकसभा ने पास कर दिया था। बिल के समर्थन में 323 वोट और विरोध में केवल 3 वोट पड़े थे।
समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव ने विधेयक का समर्थन करते हुए मांग की कि ओबीसी को अब 54 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए।
राज्य सभा में कुछ सदस्यों ने सरकार की नीयत पर भी सवाल खड़े किये।
एआईएडीएमके के सदस्य नवनीत कृष्णन ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह असंवैधानिक और कानूनी रूप से अस्थिर है। बाद में एआईएडीएमके सदस्यों ने बिल के विरोध में सदन से वाकआउट किया।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने विधेयक को कानूनी जांच से गुजरने पर संदेह जताया।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार रोजगार सृजन के अपने वादे को पूरा करने में विफल रही और विधेयक इसके अपराध की स्वीकार्यता है।
बीजद के प्रसन्ना आचार्य और जद यू के आरसीपी सिंह ने विधेयक का समर्थन किया।
राजद सदस्य मनोज झा ने बिल का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि यह संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है।
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कानून और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संसद को संवैधानिक संशोधन करने का अधिकार है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि संवैधानिक (संशोधन) विधेयक के पारित होने के बाद ओबीसी, एससी और एसटी के लिए मौजूदा आरक्षण में कोई बदलाव नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि राज्यों को विधेयक के तहत लाभार्थियों की आय मानदंड तय करने की स्वतंत्रता होगी।
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