नई दिल्ली, 12 अगस्त | राज्यसभा सदस्यों ने शुक्रवार को अपना वेतन बढ़ाने की मांग एक बार फिर उठाई और संसद सदस्यों का वेतन बढ़ाने की सिफारिश करने वाली समिति के सुझाव पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। कई मौकों पर सांसद कह चुके हैं कि उनका वेतन कैबिनेट सचिव से अधिक होना चाहिए।
समाजवादी पार्टी (सपा) के रामगोपाल यादव ने कहा, “सांसदों का वेतन सबसे कम है। हमारा वेतन दिल्ली सरकार के विधायकों से कम, महाराष्ट्र के विधायकों के वेतन का आधा तथा तेलंगाना के विधायकों के वेतन का एक तिहाई है।”
उन्होंने कहा, “हमें खर्च में कटौती करने के लिए कहा गया है। क्या हमें लोगों से मुंह मोड़ लेना चाहिए? हम अपनी जेब से खर्च कर रहे हैं। मैं यह बात नहीं समझ पा रहा हूं… हमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कहा गया था कि सत्र के अंतिम दिन कुछ घोषणा होगी।”
रामगोपाल ने कहा, “हमारा वेतन बढ़ाइए और इसे कैबिनेट सचिव से ज्यादा कीजिए।”
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने सपा नेता का समर्थन किया।
उन्होंने कहा, “सिफारिशों पर सरकार चुप है। या तो हमें यह स्वीकार कर लेना चाहिए किहम जनता के प्रतिनिधि हैं ही नहीं और हमें पूंजीपति, सामंत या कारोबारी होने की जरूरत है। अगर हम जन प्रतिनिधि हैं, तो यह पाखंड नहीं होना चाहिए कि अन्य लोगों का वेतन बढ़ेगा और हमारा नहीं।”
कई अन्य सदस्यों ने भी मांग का समर्थन किया।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के मुताबिक, कैबिनेट सचिव का वेतन 2.5 लाख रुपये मासिक है।
लोकसभा तथा राज्यसभा की एक संयुक्त समिति ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें सांसदों का वेतन मौजूदा 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 45 हजार रुपये से बढ़ाकर 90 हजार रुपये तथा सचिव सहायता व कार्यालय भत्ता मौजूदा 45 हजार रुपये से बढ़ाकर 90 हजार रुपये करना है।
सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली समिति ने पेंशन में लगभग 75 फीसदी बढ़ोतरी और सांसदों के वेतन में बढ़ोतरी के लिए ऑटोमेटिक मैकेनिज्म की सिफारिश की है।
वेतन बढ़ोतरी तथा निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए भत्ते में बढ़ोतरी के लिए सांसदों के एक दल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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