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दुर्लभ प्रजाति की मुर्गी कड़कनाथ से आदिवासी महिलाएँ बनी उद्यमी

कड़कनाथ मुर्गी पालन में झाबुआ अंचल के साथ अब देवास जिले का नाम भी जुड़ गया है। देवास जिले की आदिवासी महिलाओं ने कड़कनाथ मुर्गी पालन में मिसाल कायम की है। इन अदिवासी महिलाओं ने मध्यप्रदेश शासन की आदिवासी उपयोजना और आत्मा परियोजना से मदद लेकर सफल उद्यमी का दर्जा हासिल कर लिया है।

अब देवास जिले के 25 गाँव में लगभग 400 आदिवासी महिलाएं कड़कनाथ मुर्गी पालन का कार्य सफलतापूर्वक कर रही हैं। इन मुर्गियों और इनके अंडों की बिक्री से इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति में अप्रत्याशित परिवर्तन आया है। स्थिति यह है कि अब इनके बच्चे इंदौर शहर में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

देवास जिला मुख्यालय से लगभग सौ किलोमीटर की दूरी पर उदय नगर तहसील का गाँव है सीवनपानी। यहां रहने वाली रमकूबाई, मीराबाई और सावित्री बाई ग्रामीण उद्यमिता की मिसाल बन गई है। इनमें इतना आत्मविश्वास आ गया है कि वो अब शहरी क्षेत्रों से आए व्यवसाइयों से व्यवसायिक दक्षता से बात करती हैं।

फोटो – खबर को समझने के लिए कडकनाथ मुर्गी से मिलती जुलती मुर्गी

आदिवासी बाहुल्य बागली ब्लॉक के इस गाँव की रमकूबाई कड़कनाथ मुर्गी के चूजे पालकर खुश है। रमकूबाई का कहना है कि मुर्गियां पालने का काम हम पहले से ही कर रहे थे, लेकिन कड़कनाथ पहली बार पाला और इससे हमारे मुर्गी पालन व्यवसाय में बहुत बढ़ोतरी हुई है।

आत्मा परियोजना में इस गाँव के 42 मुर्गी-पालकों का चयन किया गया। प्रथम चरण में 26 ग्रामीणों को 30 जून 2015 को चूजे दिए गए। गाँव में कड़कनाथ के 1040 चूजे नि:शुल्क दिए गए। सभी हितग्राही बीपीएल श्रेणी, अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं। प्रत्येक हितग्राही को 5 किलो दाना भी नि:शुल्क दिया गया। गाँव का वातावरण कड़कनाथ चूजों के लिए अनुकूल साबित हुआ। अधिकांश चूजे जीवित रहे। अब यह क्षेत्र कड़कनाथ का पोल्ट्री हब बन गया है। प्रत्येक हितग्राही को 40 चूजे, दाना-पानी और बर्तन और औषधियां दी गई। प्रत्येक हितग्राही को 30 हजार रुपए से दड़बा, चूजे, 50 किलो दाना, बर्तन और दवाइयां भी दी गई।

सीवनपानी की रमकू बाई को एक वर्ष की अवधि में अंडे की बिक्री से 14 हजार रुपए की आय प्राप्त हुई। वही मुर्गे की बिक्री से 28500 रुपए की राशि प्राप्त हुई। रमकूबाई ने एक साल में 40 हजार 500 रुपए कड़कनाथ मुर्गी के पालन से कमाये। उसे लगभग साढ़े तीन हजार रुपए की प्रति माह निश्चित आय प्राप्त हुई। नानकी बाई, मीरा बाई और सुमित्रा बाई की भी यही कहानी है। वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान दिसम्बर माह में देवास आए, तो उन्होंने स्वयं इन परिवारों से मुलाकात कर इनके काम को सराहा।

झाबुआ में कड़कनाथ दुर्लभ एवं विलुप्त हो रही मुर्गी प्रजाति है। इस विलुप्त होती प्रजाति को देवास जिले में आदिवासी महिलाओं ने संरक्षित किया है। आदिवासी महिलाओं ने इस काली मुर्गी की प्रजाति जिसे काला मासी भी कहा जाता है, को पालने में महारत हासिल कर ली है।

— दुर्गेश रायकवार