आगरा, 17 मार्च | ऐसे समय में जब देश के विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिभा को मंच प्रदान करने के लिए संगीत रियलिटी टीवी शोज को सराहा जा रहा है। वहीं पाश्र्वगायक तोची रैना का कहना है कि इनका कोई उपयोग नहीं है और इस तरह के शोज युवा प्रतिभाओं को गुमराह कर रहे हैं। तोची ने आईएएनएस से कहा, “संगीत ‘साधना’ है और रोज अभ्यास करना मुश्किल है। यहां प्रसिद्धि पाने का कोई छोटा रास्ता या ‘फटाफट’ होना कुछ नहीं है।”
उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षो में रियलिटी शोज के माध्यम से कई युवा गायक सामने आए, लेकिन सवाल है कि आज वह कहां हैं?
‘कबीरा’, ‘गल मीठ्ठी मीठ्ठी बोल’ और ‘इकतारा’ जैसे खूबसूरत गीतों के लिए पहचाने जाने वाले गायक ने कहा, “उनमें से कई टीवी पर नजर आने की वजह से गलत दृष्टिकोण विकसित कर लेते हैं और सीखते नहीं हैं।”
उन्होंने कहा, “मेरे लिए गायन एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो मुझे रचनाकार से जोड़ता है।”
रैना ने कहा कि आजकल के गीतों में स्थानीय मिट्टी की सुगंध नहीं है।
उन्होंने कहा, “पश्चिमी प्रभाव के कारण संगीत स्थानीय स्वाद से वंचित है। यहां तक कि भजन पश्चिम बीट से प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इससे दुख होता है।”
वह यहां पत्रकार पीयूष पांडे की पुस्तक लांच के मौके पर उपस्थित हुए थे। –आईएएनएस
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