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क्षेत्रीय असंतुलन पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करना होगा : मोदी

नई दिल्ली, 23 अप्रैल (जनसमा)। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि कई मुख्यमंत्रियों ने क्षेत्रीय असंतुलन की बात कही है। उन्होंने इससे सहमति व्यक्त की और कहा कि इस पर राष्ट्रीय और राज्यों के बीच प्राथमिकता के आधार पर विचार करना होगा।

रविवार को नीति आयोग के शासी परिषद की तीसरी बैठक में अपने समापन भाषण में मोदी ने कहा कि वित्त वर्ष को मौजूदा अप्रैल-मार्च के बदले जनवरी-दिसंबर करने के सुझाव आए हैं। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे इस संबंध में पहल करें।

प्रधान मंत्री ने कहा कि उस देश में जहां कृषि की आय बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, साल में जब खेती की आमदनी प्राप्त होने के तुरंत बाद बजट तैयार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनवरी से दिसंबर तक वित्तीय वर्ष के लिए सुझाव दिए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा है कि नये भारत की परिकल्‍पना सम्‍मिलित प्रयासों तथा सभी राज्‍यों और मुख्‍यमंत्रियों के प्रयासों और सहभागिता से ही संभव है।

नीति आयोग की संचालन परिषद की तीसरी बैठक के उदघाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज एक बार फिर टीम इंडिया बदलते वैश्‍विक परिवेश के अनुकूल भारत में बदलाव को लेकर मंथन में जुटी है। उन्‍होंने कहा कि यह बैठक नीतियों और उसके कार्यान्‍वयन पर विचारों को साझा करने का अवसर है।

वस्‍तु और सेवाकर – जीएसटी संसद में पारित होने की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर बनी सहमति को इतिहास में सहकारी संघवाद के एक बड़े उदाहरण के रूप में देखा जायेगा। उन्‍होंने इस मुद्दे पर एकजुटता दर्शाने के लिए सभी मुख्‍यमंत्रियों का आभार व्‍यक्‍त किया। श्री मोदी ने कहा कि जीएसटी एक राष्‍ट्र – एक आकांक्षा और एक निश्‍चय की भावना प्रकट करता है। उन्‍होंने लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ कराने पर भी चर्चा का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 के भारत की परिकल्‍पना साकार करना हम सब की जिम्‍मेदारी है। 2022 में स्‍वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ होगी। उन्‍होंने कहा कि नीति आयोग 15 वर्ष के दीर्घकालिक दृष्‍टिपत्र के साथ ही सात वर्ष और तीन वर्ष की कार्ययोजनाओं पर काम कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि इस प्रयास में राज्‍यों के समर्थन की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने राज्‍यों से पूंजीगत व्‍यय और बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने को कहा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि केन्‍द्र संचालित योजनाओं, स्‍वच्‍छ भारत, कौशल विकास ओर डिजिटल लेनदेन जैसे मुद्दों पर मुख्‍यमंत्रियों के एक समूह ने महत्‍वपूर्ण सुझाव दिये हैं।