Kovind

व्‍यक्तिगत निजता और अधिकारों का सम्‍मान करते हैं सभ्‍य सोच वाले

‘सभ्‍य राष्‍ट्र का निर्माण, ऐसी सोच के वातावरण से होता है, जहां कोई भी अन्‍य नागरिक के सम्‍मान और व्‍यक्तिगत स्‍वतंत्रता का मजाक उड़ाए बगैर उसके दृष्टिकोण से असहमत हो सकता है।’

फिल्‍म पद्मावत सहित विभिन्‍न मुद्दों पर हाल में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की ओर संकेत करते हुए गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सभ्‍य सोच वाले व्यक्ति अन्य लोगों की व्‍यक्तिगत निजता और अधिकारों का सम्‍मान करते हैं।

राष्‍ट्र को पहली बार संबोधित करते हुए कोविंद ने कम से कम समय में गरीबी के अभिशाप को जड़ से समाप्‍त करने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि गरीबी उन्‍मूलन हमारा पवित्र कर्तव्‍य है और हमारा गणतंत्र इससे कोई समझौता नहीं कर सकता।

आज भी हमारे बहुत से देशवासी सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। वे गरीबी में किसी तरह अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। उनकी बुनियादी ज़रूरतों को पर्याप्त मात्रा में पूरा करना और विकास के अवसर निरंतर प्रदान करते रहना हमारे लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है।

राष्ट्रपति ने कहा “वर्ष 2020, में हमारे गणतन्त्र को सत्तर वर्ष हो जाएंगे। 2022 में, हम अपनी स्वतंत्रता की पचहत्तरवीं वर्षगांठ मनाएंगे। निकट भविष्य में आने वाले ये बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर हैं। स्वतंत्रता सेनानियों औरसंविधान के निर्माताओं द्वारा दिखाए रास्तों पर चलते हुए, हमें एक बेहतर भारत के निर्माण के लिए प्रयास करना है – एक ऐसे भारत के निर्माण के लिए, जो अपनी योग्यता के अनुरूप, इक्कीसवीं सदी में, विकास की नई ऊंचाइयों पर खड़ा होगा और जहां हर-एक नागरिक अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग कर सकेगा।”

उन्होंने कहा “जिस तरह एक मां, अपने बच्चों का पेट भरने के लिए, हमेशा तत्पर रहती है, उसी तरह, इस देश के 130 करोड़ से ज्यादा लोगों का पेट भरने के लिए, हमारे किसान, दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं। हमेँ अपने किसान भाई-बहनों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, और ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है।”