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विवेकानंद के संदेश को भुला देने का परिणाम है नाइन इलेवन

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The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing a gathering of students on the theme of ‘Young India, New India’, in New Delhi on September 11, 2017.

नयी दिल्ली, 11 सितम्बर (जनसमा)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वर्ष 1893 के 11 सितम्‍बर का दिन सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्‍व के लिए महत्‍वपूर्ण था, जब विवेकानंद ने प्रेम, भाईचारे और शांति का संदेश दिया था, लेकिन इस मूल संदेश को भुला देने का परिणाम ही 2001 के 11 सितम्‍बर को अमरीका में हुई त्रासदी के रूप में सामने आया। 21वीं सदी के प्रारंभ की नाइन इलेवन जैसी त्रासदी  मानव जाति के विनाश का मार्ग है, संहार का मार्ग है।

विश्‍व धर्म संसद में स्‍वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक और गौरवशाली शिकागो संबोधन की 125वी वर्षगांठ पर नई दिल्‍ली के विज्ञान भवन में सोमवार को आयोजित युवा छात्र सम्‍मेलन ‘युवा भारत,नया भारत‘ में मोदी ने कहा कि रचनात्‍मकता के बिना जीवन का कोई महत्‍व नहीं है।

मोदी ने कहा कि स्‍वामी विवेकानंद ने प्रयोग और नवाचार पर बल दिया था और हमारी सरकार उनके आदर्शों के अनुरूप काम कर रही है।

मोदी ने कहा कि जहां स्‍वामी विवेकानंद ने शिकागो भाषण में भारत और धर्म के प्रति भारतीय अवधारणा को महान बताया, वहीं उन्‍होंने देश में व्‍याप्‍त सामाजिक बुराइयों पर तीखा प्रहार भी किया था।

स्‍वच्‍छता का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कस्‍बों और शहरों में गंदगी फैलाने वालों को वंदे मातरम् के उद्घोष का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा “मैं पूरे हिन्‍दुस्‍तान को पूछता हूं कि क्‍या हमें वंदे मातरम कहने का हक है क्‍या। वंदे मातरम बोलने का इस देश में सबसे पहला किसी को हक है तो देश भर में सफाई का काम करने वाले भारत मां के उन सच्‍चे संतानों को है, जो सफाई करते हैं।” हम ये जरूर सोचे कि हम सफाई करें या न करें। गंदा करने का हक हमें नहीं है।

क्रिएटिविटी के बिना जिंदगी नहीं है। हम रोबोट नहीं बन सकते। हमारे भीतर का इंसान हर पल उजागर होते रहना चाहिए। लेकिन वो करें जिससे देश की ताकत बढ़े। देश का सामर्थ्‍य बढ़े और देश की जो आवश्‍यकता है, पूर्ति हो। जब तक हम इन चीजों से अछूत रहेंगे, हम धीरे धीरे सिमट जाएंगे। हम तो जय जगत वाले लोग है। पूरे विश्‍व को अपने भीतर समाहित करना है और हमी एक चोचले में बंद हो जाएंगे। ये कोई हम लोगों की सोच नहीं हो सकती।