नई दिल्ली, 24 मई (जनसमा)। कक्षा 10वीं व 12वीं की परीक्षा में उपस्थित हुए छात्रों को भारी राहत देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सीबीएसई को निर्देश दिया कि वह मॉडरेशन पालिसी को समाप्त करने के अपने फैसले को इस साल लागू नहीं करे। जिस कारण केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 12वीं कक्षा की परीक्षा के नतीजे बुधवार को घोषित नहीं किए जाएंगे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल व न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की खंडपीठ ने कहा कि सीबीएसई ने विद्यार्थियों द्वारा परीक्षा देने के बाद मॉडरेशन नीति को खत्म करने का फैसला किया है।
पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, “यह छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को पूरी तरह से बदल सकता है। नियम खेल के शुरू होने के बाद नहीं बदला जा सकता।”
अदालत ने कहा, “यह निर्देश दिया जाता है कि सीबीएसई अपनी घोषित नीति का पालन करेगी, इसमें मॉडरेशन पालिसी भी शामिल है जो उस वक्त प्रचलन में थी जब बच्चों ने परीक्षा दी थी।”
उल्लेखनीय है कि सीबीएसई ने एक अहम फैसले में मॉडरेशन नीति को खत्म करने की घोषणा की थी। इसके तहत छात्रों को मुश्किल सवालों के लिए ग्रेस अंक दिए जाते रहे हैं। मॉडरेशन नीति के अनुसार परीक्षार्थियों को खास प्रश्नपत्र में सवालों के कठिन प्रतीत होने पर 15 प्रतिशत अतिरिक्त अंक दिए जाते थे। बताया जा रहा था कि कॉलेज एडमिशन में बढ़ते कॉम्पिटीशन और 95 फीसदी से अधिक नंबर स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसा फैसला लिया गया था।
अदालत का यह निर्देश एक जनहित याचिका पर आया है जिसमें यह तर्क दिया गया कि यह नीति इस साल नहीं खत्म होनी चाहिए क्योंकि इससे कक्षा 12वीं के छात्रों पर असर पड़ेगा जिन्होंने विदेश में दाखिले के लिए आवेदन किया है।
यह याचिका एक अभिभावक व वकील द्वारा दायर की गई थी जिसमें कहा गया कि यह नीति इस साल की परीक्षा के बाद अधिसूचना के द्वारा बदली गई और इसलिए इसका छात्रों पर विपरीत असर पड़ेगा।
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