नई दिल्ली, 03 जुलाई (जनसमा)। भारत सरकार में राजस्व सचिव डॉ. हसमुख अढि़या ने रविवार को अपने ट्विटर हैंडल @adhia03 से कई ट्वीट करके जीएसटी के बारे में कुछ आम गलत अवधारणाएं/भ्रांतियां दूर कीं।
जीएसटी को लेकर इन भ्रांतियों एवं सच्चाई का उल्लेख नीचे किया गया है :
भ्रांति 1 : मुझे सभी इनवॉयस को केवल कम्प्यूटर/इंटरनेट के जरिए ही बनाने होंगे।
सच्चाई 1 : इनवॉयस को हाथ से भी बनाया जा सकता है।
भ्रांति 2 : जीएसटी के तहत कारोबार करने के लिए मुझे हमेशा ही इंटरनेट की जरूरत पड़ेगी।
सच्चाई 2 : केवल जीएसटी का मासिक रिटर्न दाखिल करते वक्त ही इंटरनेट की आवश्यकता पड़ेगी।
भ्रांति 3 : मेरे पास अस्थायी आईडी है, अत: कारोबार करने के लिए मुझे अंतिम आईडी का इंतजार करना पड़ेगा।
सच्चाई 3 : अस्थायी आईडी आपकी अंतिम जीएसटीआईएन संख्या होगी। अत: कारोबार शुरू कीजिए।
भ्रांति 4 : मैं जिस चीज का कारोबार करता था उसे पहले छूट प्राप्त थी, अत: कारोबार शुरू करने से पहले मुझे नया पंजीकरण कराना होगा।
सच्चाई 4 : आप अपना कारोबार जारी रख सकते हैं और 30 दिन के भीतर पंजीकरण करवा लें।
भ्रांति 5 : हर महीने 3 रिटर्न दाखिल करने होंगे।
सच्चाई 5 : केवल 1 रिटर्न ही दाखिल करना होगा, जिसमें तीन हिस्से होंगे। इनमें से पहले हिस्से को डीलर भरेगा, जबकि दो अन्य हिस्से कम्प्यूटर से स्वत: ही निकल आएंगे।
भ्रांति 6 : यहां तक कि छोटे डीलरों को भी अपने रिटर्न में इनवॉयस-वार ब्यौरा देना होगा।
सच्चाई 6 : रिटेल कारोबार (बी2सी) से जुड़े लोगों को केवल अपनी कुल बिक्री का सार प्रस्तुत करना होगा।
भ्रांति 7 : नई जीएसटी दर पूर्ववर्ती वैट की तुलना में ज्यादा है।
सच्चाई : 7 यह दर इसलिए ज्यादा नजर आती है, क्योंकि उत्पाद शुल्क एवं अन्य कर पहले दिखते नहीं थे। इन्हें अब जीएसटी में शामिल कर दिया गया है, अत: अब ये कर दिखने लगे हैं।
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