हवाना, 26 नवंबर | क्यूबा के क्रांतिकारी नेता फिदेल कास्त्रो नहीं रहे। देश के सरकारी टीवी ने शनिवार को उनके निधन की घोषणा की। उनके निधन के साथ ही क्यूबा और लैटिन अमेरिका में एक युग का अंत हो गया। क्यूबा के राष्ट्रपति रह चुके कम्युनिस्ट क्रांतिकारी कास्त्रो 90 वर्ष के थे। कास्त्रो ने क्यूबा में लगभग पांच दशक तक शासन किया और बाद में साल 2008 में सत्ता अपने भाई रॉल कास्त्रो को सौंप दी।
क्रांतिकारी आइकन के तौर पर मशहूर दुनिया के सर्वाधिक चर्चित व विवादास्पद नेताओं में से एक कास्त्रो के निधन की कई खबरें बीच-बीच में आती रहीं, जो अक्सर उनके वीडियो और कभी उनके सार्वजनिक तौर पर सामने आने के बाद निराधार साबित होती रहीं। लेकिन लंबी बीमारी और उम्र के नौवें दशक में अंतत: वह इस दुनिया को अलविदा कह गए।
कास्त्रो के समर्थक उन्हें एक ऐसा शख्स बताते हैं, जिन्होंने क्यूबा को वापस यहां के लोगों के हाथों में सौंप दिया। लेकिन विरोधी उन पर लगातार विपक्ष को बर्बरतापूर्वक कुचलने का आरोप लगाते रहे।
कास्त्रो ने अप्रैल में देश की कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस को अंतिम दिन संबोधित किया था। उन्होंने माना था कि उनकी उम्र बढ़ रही है, लेकिन उन्होंने कहा था कि कम्युनिस्ट अवधारणा आज भी वैध है और क्यूबा के लोग ‘विजयी होंगे।’
उन्होंने अपने संबोधन में कहा था, “मैं जल्द ही 90 साल का हो जाऊंगा, जिसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की थी। जल्द ही मैं अन्य लोगों की तरह हो जाऊंगा, लेकिन हम सभी की बारी जरूर आनी चाहिए।”
कास्त्रो का जन्म 1926 में क्यूबा के दक्षिण-पूर्वी ओरिएंट प्रांत में हुआ था। उन्हें अमेरिका समर्थित बतिस्ता प्रशासन के खिलाफ असफल विद्रोह की अगुवाई करने के लिए 1953 में कैद कर लिया गया था, लेकिन बाद में 1955 में मानवता के आधार पर रहा कर दिया गया।
कास्त्रो को क्यूबा की राष्ट्रीय एसेम्बली ने 1976 में राष्ट्रपति चुना। वर्ष 1992 में क्यूबाई शरणार्थियों पर अमेरिका के साथ उनका एक समझौता हुआ।
वर्ष 2008 में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से स्वेच्छा से क्यूबा के राष्ट्रपति पद का त्याग कर दिया।–आईएएनए
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