रियो डी जेनेरियो, 3 अगस्त | लंदन ओलम्पिक-2012 में प्री क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय करने वाली भारतीय पुरुष तीरंदाजी टीम इस बार रियो ओलम्पिक-2016 के लिए क्वालीफाई तक नहीं कर पाई और अब देश को तीरंदाजी टीम स्पर्धा का पहला ओलम्पिक स्वर्ण दिलाने का जिम्मा दीपिका कुमारी, लैशराम बोम्बेला देवी और लक्ष्मी रानी माझी वाली महिला टीम पर आ गया है। ब्राजीलियाई महानगर रियो डी जेनेरियो में शुक्रवार से शुरू हो रहे खेलों के महाकुंभ ‘ओलम्पिक’ में भारतीय महिला तीरंदाज टीम सात अगस्त को अपना अभियान शुरू करेगी।
पुरुषों की व्यक्तिगत स्पर्धा में अतानू दास एकमात्र भारतीय प्रतिनिधि हैं।
भारतीय तीरंदाजी रियो पहुंचने के बाद दल मारिका में ओलम्पिक खेलों की तैयारियां कर रहा था और शामबोड्रोमो के एक होटल में रुका हुआ था जो तीरंदाजी आयोजन स्थल के नजदीक ही है। हालांकि अब भारतीय दल खेल गांव चला गया है।
फोटो: भारतीय महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी
रियो ओलम्पिक के दौरान आठ दिनों तक तीरंदाजी स्पर्धाएं होंगी, जिसमें 56 देशों के 128 तीरंदाज हिस्सा लेंगे।
सभी भारतीय तीरंदाजों की रैंकिंग अच्छी है और वे बेहतरीन फॉर्म में भी हैं। हालांकि इतिहास को खंगालें तो भारतीय टीम मजबूत टीमों के खिलाफ अहम मैचों में धैर्य खोती रही है और नजदीकी मुकाबलों में उसे हार झेलनी पड़ी है।
भारतीय तीरंदाजों के लिए अहम चुनौती होगा रियो ओलम्पिक में कृत्रिम रोशनी में खेलना। भारतीय तीरंदाजों को कृत्रिम रोशनी में खेलने का अभ्यास नहीं है और इस नई परिस्थिति में वे खुद को कितना ढाल पाते हैं, उनकी सफलता निर्भर करेगी।
महिला टीम रैंकिंग स्पर्धाएं शुक्रवार को होंगी, जबकि इलिमिनेशन राउंड रविवार को खेले जाएंगे। टीम स्पर्धाओं के खिताबी मुकाबले आठ अगस्त (सोमवार) को होंगे।
सोमवार को ही भारतीय महिला तीरंदाज व्यक्तिगत स्पर्धाओं के इलिमिनेशन राउंड से अपने अभियान की शुरुआत करेंगी और पदक के लिए फाइनल मुकाबले 12 अगस्त को होंगे।
वहीं पुरुषों की व्यक्तिगत स्पर्धा का इलिमिनेशन राउंड शुक्रवार से शुरू होगा, हालांकि भारतीय दावेदार अतानू दास आठ अगस्त को इलिमिनेशन राउंड में हिस्सा लेंगे। फाइनल मुकाबले 13 अगस्त को खेले जाएंगे।
भारत के नाम तीरंदाजी में अब तक कोई भी ओलम्पिक पदक नहीं है, जबकि भारतीय तीरंदाज 1988 के बाद से हर बार ओलम्पिक में हिस्सा लेते रहे हैं। ऐसे में भारत को इतिहास रचने के लिए निश्चित तौर पर इस बार अपना सर्वश्रेष्ठ करना होगा।
भारतीय तीरंदाजों का ओलम्पिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2004 और 2008 में रहा, जबकि महिला टीम क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने में सफल रही थी। हालांकि व्यक्तिगत स्पर्धा में अब तक कोई भी भारतीय तीरंदाज क्वार्टर फाइनल तक नहीं पहुंच सका है।
भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) ने इस बार एक महीने पहले ही भारतीय दल को रियो भेज दिया, ताकि वे यहां के वातावरण के अनुकूल खुद को अच्छी तरह ढाल सकें।
दीपिका और बोम्बेला देवी लंदन ओलम्पिक का हिस्सा रह चुकी हैं, लेकिन माझी और अतानू पहली बार ओलम्पिक में हिस्सा ले रहे हैं।
भारत को सर्वाधिक उम्मीदें भारतीय महिला टीम से है, जिसकी अगुवाई पूर्व सर्वोच्च विश्व वरीय रह चुकीं दीपिका के हाथों में है।
दीपिका ने इस बार ओलम्पिक के लिए कठिन तैयारी की है और क्वालीफाइंग के दौरान उनका प्रदर्शन शानदार रहा, जहां उन्होंने दो बार विश्व रिकॉर्ड ध्वस्त किए।
हाल ही में दीपिका ने कहा, “हमने अहम क्षणों में तनाव के बीच धैर्य बनाए रखना सीख लिया है और सबसे अहम है कि हमने तीर छोड़ते वक्त अपनी सांस पर नियंत्रण पाना भी सीख लिया है।”
–आईएएनएस
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