नई दिल्ली, 18 सितंबर । रोहिंग्या मुसलमान देश में गैर कानूनी तौर पर आये हैं और यहां उनके लगातार रहने से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। केंद्र सरकार ने ने सोमवार को यह जानकारी उच्चतम न्यायालय को दी।
उच्चतम न्यायालय में दाखिल किए गए केंद्र के हलफनामे में कहा गया है कि देश के किसी भी भाग में रहने और बसने का मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को है, गैरकानूनी शरणार्थी अपने संबंध में इस अधिकार को लागू करवाने के लिए अदालत की शरण नहीं ले सकते।
केंद्र सरकार ने कहा कि भारत ने शरणार्थियों के दर्जे से संबंधित 1951 के समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं इसलिए समझौते की व्यवस्था उस पर लागू नहीं होती।
Photo : Indian Uinon Muslim League (IUML) and Aligarh Muslim University Old Boys Association activists stage a protest march towards Myanmar Embassy in support of Rohingya muslims in New Delhi on Sept 11, 2017. (Photo: IANS)
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग के अंतर्गत पंजीकृत दो रोहिंग्या आव्रजकों मोहम्मद सलीमुल्ला और मोहम्मद शाकिर ने एक याचिका दायर करके दावा किया है कि उनके समुदाय पर हो रहे बड़े पैमाने पर भेदभाव, हिंसा और खूनखराबे के कारण म्यामां से भागने के बाद उन्होंने भारत में शरण ली।
गृहराज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने अंतर्राष्ट्रीय समूहों से अपील की है कि वे रोहिंग्या मामले में भारत की छवि खराब न करें।
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