कोरोनावायरस (COVID-19) के संक्रमण को रोकने में ग्रामीण महिलाएँ भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
तो आपकी मुलाक़ात कराते हें छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की ग्रामीण महिलाओं (Rural women) से जो मास्क (Mask) और सैनिटाइजर (sanitizer) बनाकर अपनी सकारात्मक भूमिका निभा रही हैं।
हम सभी जानते हैं कि कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलाव से रोकने के लिए संपूर्ण देश में लाॅकडाउन किया गया है।
इस दौरान बन्द दरवाजों के पीछे जहाँ पूरा देश खुद को सुरक्षित पा रहा था वही डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस और प्रशासनिक कर्मचारियों के साथ महिला स्वसहायता समूहों की महिलाएं भी कंधा से कंधा मिलाकर काम कर रहीं हैं।
कोरोनावायरस से बचने का एकमात्र उपाय और बचाव है मास्क (Mask) । सभी जानते हें कि विश्व मे मास्क (Mask) की बहुत अधिक कमी है। ऐसे में इन महिला कोरोना वॉरियर्स ने इसकी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली और लॉक डाउन के महज 3 दिनों के भीतर मास्क (Mask) उत्पादन कार्य प्रारम्भ कर दिया।
मास्क (Mask) बनाने के इस अभियान से 107 महिला स्व सहायता समूह के 183 सदस्य जुड़ चुके हैं, जिन्होंने अब तक कुल 54 हजार से अधिक मास्क का निर्माण किया है।
ग्रामीण महिलाओं के स्वसहायता समूह इस समय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव बन कर खड़ी हुई है।
एक ओर ये वनोपज की खरीदी करती नजर आतीं हैं तो कहीं ये कोरोना से लड़ने मास्क (Mask) और सेनेटाइजर बनाती नजर आती हैं । कही ये बैंक सखी के रूप में ग्रामीणों को नगद पहुंचाती हैं कही ये गरम भोजन तैयार कर लोगो की क्षुधा पूर्ति कराती हैं।
इस विपदा काल मे महिला समूहों ने न केवल नारी शक्ति का प्रदर्शन किया अपितु नए रोजगार के अवसरों से खुद को जोड़ कर अपने आसपास की महिलाओं को भी सक्रिय बनाया।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ’बिहान’ योजना के अंतर्गत रायपुर जिले में कोण्डागांव की महिलाओं को सभी आवश्यक गतिविधि के लिए प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार उपलब्ध कराया गया।
इस कार्य के लिए कम ब्याज दर पर आसान किश्तों में ऋण भी दिलवाया गया। जिससे ये स्व-उद्यम से स्वाभिमान के साथ सिर उठा कर समाज के साथ कंधे से कंधा मिला कर कार्य कर सकें।
इस कार्य को आसान बनाने के लिए संगठन गठित किये गए है जो ग्राम स्तर से विकासखण्ड स्तर तक हैं। ये संगठन इन समूहों को आवश्यक सामग्री, जानकरी और प्रशिक्षण देकर महिला समूह बनाने में भी मदद करते हैं।
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