Science institutions of the country also contributed in the construction of Shri Ram Temple

श्री राम मंदिर निर्माण में देश की विज्ञान संस्थानों का भी योगदान

नई दिल्ली, 21 जनवरी। श्री राम मंदिर निर्माण के काम में देश की प्रमुख विज्ञान संस्थानों का भी योगदान रहा है।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यह जानकारी दी और बताया कि आईआईटी और इसरो के आलावा श्री राम मंदिर निर्माण के काम को जिन चार संस्थानों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उनमें सीएसआईआर-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रूड़की,सीएसआईआर – राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद,डीएसटी – इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) बेंगलुरु और सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी) पालमपुर (एचपी) शामिल हैं।

सिंह ने  बताया कि सीएसआईआर-एनजीआरआई हैदराबाद ने नींव डिजाइन और भूकंपीय सुरक्षा पर महत्वपूर्ण इनपुट दिए; डीएसटी-आईआईए बेंगलुरु ने सूर्य तिलक के लिए सूर्य पथ पर तकनीकी सहायता प्रदान की और सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर ने 22 जनवरी को अयोध्या में दिव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए ट्यूलिप खिलाए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहाकिमुख्य मंदिर भवन, जो 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा है, राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से निकाले गए बलुआ पत्थर से बना है। इसके निर्माण में कहीं भी सीमेंट या लोहे और इस्पात का उपयोग नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि 3 मंजिला मंदिर का संरचनात्मक डिजाइन भूकंप प्रतिरोधी बनाया गया है और यह 2,500 वर्षों तक रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता के मजबूत भूकम्पीय झटकों को बर्दाश्‍त कर सकता है।

मंत्री ने कहा कि राम मंदिर की एक अनूठी विशेषता इसका सूर्य तिलक तंत्र है, जिसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि हर वर्ष श्रीराम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट के लिए सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी। उन्होंने कहा किराम नवमी हिंदू कैलेंडर के पहले महीने के नौवें दिन मनाई जाती है, यह आमतौर पर मार्च-अप्रैल में आती है, जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्मदिन का प्रतीक है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु ने सूर्य पथ पर तकनीकी सहायता प्रदान की और ऑप्टिका, बेंगलुरु लेंस और पीतल ट्यूब के निर्माण में शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘गियर बॉक्स और परावर्तक दर्पण/लेंस की व्यवस्था इस तरह की गई है कि शिकारा के पास स्थित तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को सूर्य पथ पर नज़र रखने के प्रसिद्ध सिद्धांतों का उपयोग करके गर्भ गृह तक लाया जाएगा।’’

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रतिष्ठा समारोह में सीएसआईआर भी शामिल होगा। उन्होंने कहा, आस्था, एकता और भक्ति की भावना के उत्सव में, सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर (एचपी) 22 जनवरी को अयोध्या में दिव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में ट्यूलिप ब्लूम्स भेज रहा है।

उन्होंने कहा,“इस मौसम में ट्यूलिप में फूल नहीं आते। यह केवल जम्मू-कश्मीर और कुछ अन्य ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में ही उगता है और वह भी केवल वसंत ऋतु में। इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी पालमपुर ने हाल ही में एक स्वदेशी तकनीकी विकसित की है, जिसके माध्यम से ट्यूलिप को उसके मौसम का इंतजार किए बिना पूरे वर्ष उपलब्ध कराया जा सकता है।”