अच्छी फिल्म बनाने के लिए जरूरी है पटकथा, सिनेमोटोग्राफी और प्रोडक्शन डिजाइन

Fil

The Chairperson Priyadarshan along with the Jury members of feature and Non-feature films at a press conference, during the 50th International Film Festival of India (IFFI-2019), in Panaji, Goa on November 21, 2019.

अच्छी फिल्म (Film) बनाने के तीन सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू हैं- पटकथा (screenplay), सिनेमोटोग्राफी (cinematography) और प्रोडक्शन डिजाइन (production design) ।

यह बात गोवा में चल रहे 50वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (International Film Festival of India (IFFI)  (आईएफएफआई) में भारतीय पैनोरमा की फीचर फिल्मों के निर्णायक मंडल (jury members) के अध्यक्ष प्रियदर्शन नायर (Priyadarshan Nair) ने आज 21 नवंबर,2019 को संवाददाता सम्मेलन में कही।

प्रियदर्शन ने  निर्णायक मंडल (jury members)  की सदस्य श्रीमती श्रीलेखा मुखर्जी,  हरीश भिमानी और  विनोद गनात्रा तथा गैर फीचर फिल्म (Film) भाग के निर्णायक मंडल की सदस्य श्रीमती आरती श्रीवास्तव तथा रोनेल हाओबैम के साथ संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया।

संवाददाता सम्मेलन के प्रारंभ में अध्यक्ष प्रियदर्शन नायर (Priyadarshan Nair) ने कहा कि निर्णायक मंडल ने भारत के यथार्थवादी फिल्मकारों की गुणवत्ता में काफी अधिक गिरावट पाई।

उन्होंने कहा, ‘यह कठिन कार्य था, लेकिन उतना नहीं, जितना हमने सोचा था।

30 दिनों में 314 फिल्में देखना बड़ा काम है, लेकिन हमने विभिन्न राज्यों की विभिन्न किस्म की फिल्मों (Films) को देखते हुए आनंद उठाया। कल के फिल्मकारों (Film makers) ने बड़ा काम किया है, लेकिन यह देखा गया है कि जब विषयवस्तु अच्छी हो तो गुणवत्ता खराब हो सकती है या विपरीत भी हो सकता है।

नये फिल्मकारों को सलाह देते हुए  प्रियदर्शन (Priyadarshan )ने कहा कि  उन्होंने कहा, ‘हमारे समय में कैमरा के पीछे रहना कठिन था। आज कल प्रत्येक व्यक्ति अपनी जेब में कैमरा लेकर चलता है। प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क में एक फिल्म (Film) है। लोग वही बना रहे हैं जो उनके मस्तिष्क में है, लेकिन ऐसे लोगों में प्रशिक्षण का अभाव है। फील्ड वर्क नहीं दिख रहा है। युवाओं में काफी चिनगारी पाई जा सकती है। प्रशिक्षण और फील्ड वर्क से उन्हें बेहतर फिल्में (Films) बनाने में मदद मिलेगी।’

निर्णायक मंडल के सभी सदस्यों ने फिल्म समारोह (Film Festival)  को नये फिल्मकारों के लिए अपने विचारों को दिखाने का एक अवसर बताया।

विनोद गनात्रा ने बताया कि टेक्नोलॉजी सभी क्षेत्रों के फिल्मकारों की मदद कर रही है, यहां तक कि भारत के दूर-दराज के हिस्से से भी बड़ी दर्शक आबादी तक पहुंचा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि सभी को राष्ट्रीय मंच मिलना बड़ी बात है। हरीश भिमानी ने कहा कि हमने कुछ असाधारण फिल्में देखी।

श्रीमती आरती श्रीवास्तव ने कहा कि लघु फिल्मों (Short films) तथा वृत्तचित्र निर्माताओं को समर्थन के लिए अधिक कोष की आवश्यकता है।

आईएफएफआई 2019 (IFFI 2019)में पूरे विश्व की फिल्में दिखाई जा रही हैं। भारतीय पैनोरमा आईएफएफआई का अग्रणी भाग है, जिसमें समकालीन 26 भारतीय फिल्में तथा 15 गैर-फीचर फिल्में दिखाई जा रही हैं।