अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रधानमंत्री के ट्विटर खाता (Prime Minister’s twitter handle) पर सात महिलाओं ने साझा की अपनी उपलब्धियाँ।
ये प्रतिष्ठित महिलाएं हैं कल्पना रमेश, स्नेहा मोहनडॉस, डॉ मालविका ऐय्यर, आरिफा, विजया पवार, वीणा देवी और कलावती देवी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi ) ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अपना ट्विटर खाता (Twitter handle) आज दिन भर के लिए विभिन्न क्षेत्रों में शानदार उपलब्धियां प्राप्त करने वाली सात महिलाओं (women achievers) को सौंप दिया।
कल्पना रमेश (Kalpna Ramesh)
प्रधानमंत्री के ट्विटर खाता (Prime Minister’s twitter handle) पर अपनी जीवन-यात्रा साझा करते हुए जल संरक्षणवादी कल्पना रमेश (@kalpana_designs) ने कहा, पानी एक मूल्यवान विरासत है और लोगों से आह्वान किया कि वे आने वाली पीढ़ियों को इससे वंचित न करें।
सुश्री रमेश ने कहा, लोग जिम्मेदारी से पानी का उपयोग करके, वर्षा जल का संचयन कर सकते हैं, झीलों को बचा सकते हैं, उपयोग किए गए पानी को रिसाइकिल कर सकते हैं और जागरूकता पैदा कर सकते हैं।
उन्होंने लोगों से जल योद्धा बनने का आग्रह किया।
स्नेहा मोहनडॉस (Sneha Mohandoss)
ट्विटर खाता (Twitter handle) बे-घरबार लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए अपनी जीवन यात्रा को साझा करते हुए, स्नेहा मोहनडॉस (@snehamohandoss) ने कहा कि उन्होंने अपनी मां से प्रेरित होकर फूडबैंक इंडिया नामक पहल शुरू की।
वह साथी नागरिकों, विशेषकर महिलाओं को आगे आने और उनसे हाथ मिलाने के लिए प्रेरित करना चाहती थीं।
आपने विचार के लिए भोजन के बारे में सुना होगा। हमारे गरीबों के बेहतर भविष्य के लिए अब यह कार्रवाई का समय है।
डॉ मालविका ऐय्यर (Malvika Iyer)
प्रधानमंत्री के ट्विटर खाता (Prime Minister’s twitter handle) पर विकलांगता कार्यकर्ता और प्रेरक वक्ता डॉ मालविका ऐय्यर (@MalvikaIyer ) ने कहा कि विकलांगता के साथ जुड़ी हीन भावना से निपटना आधी लड़ाई जीतने के बराबर है।
मालविका ने 13 साल की उम्र में एक भीषण बम विस्फोट की चपेट में आकर अपने दोनों हाथ गंवा दिये थे और उनकी टांगें भी बुरी तरह जख्मी हो गईं थीं।
मालविका ने विकलांगता के लिए काम भी किया और पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की।
आरिफा (Arifa)
ट्विटर खाता (Twitter handle) कश्मीर से नमदा शिल्प कारीगर आरिफा ने अपनी जीवन यात्रा के बारे में ट्वीट किया और कहा, वह हमेशा कश्मीर के पारंपरिक शिल्प को पुनर्जीवित करने का सपना देखती थी क्योंकि यह स्थानीय महिलाओं को सशक्त बनाने का एक साधन है।
सुश्री आरिफा ने कहा, जब परंपरा आधुनिकता से मिलती है, तो चमत्कार हो सकता है और उसने अपने काम में इसका अनुभव किया जो आधुनिक बाजार के अनुरूप है। उसने कहा, उसे लगता है कि अधिक महिलाओं के लिए आत्मनिर्भर बनने पर ध्यान केंद्रित करना और अन्य महिलाओं की मदद करना महत्वपूर्ण है।
विजया पवार (Vijaya Pawar)
विजया पवार महाराष्ट्र में हस्तशिल्प के क्षेत्र में काम कर रही हैं।
उन्होंने ग्रामीण महाराष्ट्र में बंजारा समुदाय के हस्तशिल्प को जीवंतता प्रदान करते हुए पिछले 2 दशकों से काम कर रही हैं और एक हजार से अधिक महिलाओं. को सक्षम बनाया है।
ट्विटर खाता (Twitter handle) उनका कहना है कि गांव गांव में हस्तशिल्प के माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं।
विजया पवार ने शादी के बाद अपने पति के सहयोग से महिलाओं को हस्तशिल्प में प्रशिक्षण के लिए काम शुरू किया और 2004 में एनजीओ बनाया।
पहले घर में, फिर गांव, फिर शहर और अब देश के स्तर पर काम कर रही है।
उन्होंने मोदी सरकार को इस बात के लिए आभार जताया कि महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने की दिशा में अच्छा काम कर रही है।
वीणा देवी (Veena Devi)
मुंगेर की वीणा देवी ने मशरूम की खेती से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया । उनका कहना है ‘जहां चाह वहां राह’। इच्छाशक्ति से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।
ट्विटर खाता (Twitter handle) वीणा देवी ने कहा कि मेरी वास्तविक पहचान पलंग के नीचे एक किलो मशरूम की खेती से शुरू हुई थी।
इस खेती ने मुझे न केवल आत्मनिर्भर बनायाए बल्कि मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाकर एक नया जीवन दिया।
कलावती देवी (Kalavati Devi)
स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता जरूरी है। यह कहना है कानपुर की कलावती देवी का।
उन्होंने अपने ट्वीट में कहा मैं जिस जगह पे रहती थी, वहां हर तरफ गंदगी ही गंदगी थी। लेकिन दृढ़ विश्वास था कि स्वच्छता के जरिए हम इस स्थिति को बदल सकते हैं। लोगों को समझाने का फैसला किया। शौचालय बनाने के लिए घूम.घूमकर एक.एक पैसा इकट्ठा किया। आखिरकार सफलता हाथ लगी।
ट्विटर खाता (Twitter handle) कलावती ने दूसरे ट्वीट में कहा ‘इसके लिए लोगों को जागरूक करने में थोड़ा समय जरूर लगा। लेकिन मुझे पता था कि अगर लोग समझेंगे तो काम आगे बढ़ जाएगा।’ मेरा अरमान पूरा हुआए स्वच्छता को लेकर मेरा प्रयास सफल हुआ। हजारों शौचालय बनवाने में हमें सफलता मिली है।
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