भागलपुर, 10 सितंबर | राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता शहाबुद्दीन शनिवार को भागलपुर जेल से रिहा हो गए। जेल से बाहर निकलने के बाद उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार परिस्थितियों के नेता है। हमारे नेता लालू प्रसाद हैं और रहेंगे। पूर्व सांसद शहाबुद्दीन शनिवार को सुबह करीब साढ़े सात बजे 11 वर्ष बाद जेल से बाहर आए। पूर्व सांसद के जेल से बाहर आने पर उनके समर्थकों ने उन्हें ‘नायक’ की तरह गाजे-बाजे के साथ स्वागत किया। भागलपुर की जेल से निकलने के बाद शहाबुद्दीन यहां से सीधे सीवान रवाना हो गए।
जेल से रिहा होने के बाद शहाबुद्दीन ने कहा, “मैं अपनी छवि बदलने की कोशिश नहीं करूंगा। पिछले 26 साल से लोगों ने मुझे इसी रूप में स्वीकार किया है।”
उन्होंने कहा कि मेरी रिहाई से राजनीति का कोई लेना-देना नहीं है। शहाबुद्दीन ने न्यायलय पर विश्वास जताया और कहा कि मुझे न्याय मिलेगा, इसपर पूरा भरोसा था। लंबे अंतराल के बाद जेल के बाहर की हवा और परिवार के पास जाने की खुशी है।
शहाबुद्दीन ने कहा, “नीतीश कुमार परिस्थितियों के नेता हैं, हमारे नेता लालू प्रसाद यादव हैं।”
उन्होंने कहा कि कौन कहता है कि सीवान में लोग डरे हुए हैं? सीवान के लोग खुश हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग यह कह रहे वे लोग मेरी छवि खराब कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, “उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता। कम से कम मैं तो उन्हें गंभीरता से नहीं लेता।”
राजद नेता शहाबुद्दीन पिछले 11 साल से विभिन्न मामलों में जेल में बंद थे।
इस बीच उनकी रिहाई की खबर के बाद हजारों समर्थक भागलपुर जेल पहुंचे। जेल से निकलते ही उनका जोरदार स्वागत किया गया। इस मौके पर राजद के कई नेता सहित उनके समर्थक मौजूद थे।
शहाबुद्दीन जेल से बाहर निकलने के बाद कई गाड़ियों के काफिले के साथ सीवान रवाना हो गए। उनके काफिले में कई विधायक भी शामिल हैं। चार बार सांसद और दो बार विधायक रहे शहाबुद्दीन को बुधवार को राजीव रौशन की हत्या के मामले में पटना उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी। 1986 में पहली बार शहाबुद्दीन के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज हुआ था।
इधर, भाजपा ने आरोप लगाया है कि तेजाब हत्याकांड में दो भाइयों की हत्या मामले के एकमात्र गवाह की हत्या के मामले में पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को जमानत मिलना सत्ता के इशारे पर पुलिस और सरकारी वकील की शिथिलता का परिणाम है।
महागठबंधन की सरकार बनने के साथ ही तय हो गया था कि लालू प्रसाद की मदद से सत्ता पाने वाले नीतीश कुमार ‘सीवान के आतंक’ को ज्यादा दिनों तक जेल में नहीं रख पाएंगे। –आईएएनएस
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