महाकुम्भ नगर, 13 जनवरी। मकर संक्रान्ति 14 जनवरी को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी सबसे पहले अमृत स्नान करेगा जिसके साथ श्री शम्भू पंचायती अटल अखाड़ा भी होगा ।
आस्था के महापर्व,महाकुम्भ 2025 की शुरूआत आज, 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ हो गई। सनातन आस्था का सबसे बड़ा पर्व होने के कारण देश भर से श्रद्धालु महाकुम्भ में स्नान करने प्रयागराज आते हैं।
मेला प्रशासन के अनुसार महाकुम्भ के पहले स्नान पर लगभग 1.5 करोड़ श्रद्धालुओं में त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान किया। जिनमें से लाखों की संख्या में श्रद्धालु ट्रेनों के माध्यम से प्रयागराज पहुंचे। प्रयागराज रेल मण्डल ने पहले से की गई तैयारियों के कारण श्रद्धालुओं को ज्यादा दिक्कतों का समना नहीं करना पड़ा। प्रयागराज रेल मण्डल ने यात्रियों की संख्या के मुताबिक शाम 06 बजे तक 50 से अधिक स्पेशल ट्रेनें चलाई।
श्री पंचायती अखाड़ा 5.15 पर शिविर से प्रस्थान करेगा और 6.15 पर घाट पहुंचेगा। इसे 40 मिनट का समय स्नान के लिए दिया गया है । यह 6.55 पर घाट से वापस शिविर के लिए रवाना होगा और 7.55 पर शिविर पहुंचेगा।
प्रयागराज महाकुंभ की भव्य शुरुआत हो चुकी है। पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के सकुशल समापन के बाद अब सभी को प्रतीक्षा है महाकुम्भ के महा स्नान यानी शाही स्नान की जिसे इस बार नाम मिला है अमृत स्नान का।
महाकुम्भ मेला प्रशासन की तरफ से पूर्व की मान्यताओं का पूरी तरह अनुसरण करते हुए सनातन धर्म के 13 अखाड़ों को अमृत स्नान में स्नान क्रम भी जारी किया गया है। सभी अखाड़ों को इसकी जानकारी दे दी गई है।
श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के सचिव महंत आचार्य देवेंद्र सिंह शास्त्री बताते हैं कि अखाड़ों के अमृत स्नान की तिथि , क्रम और समय की जानकारी आ चुकी है।
अखाड़ों के अध्यक्ष, मण्डलेश्वरों, महामण्डलेश्वरों,महन्त और अन्य पदाधिकारियों के रथ,हाथी, घोड़ों की साज-सज्जा की जा रही है। नागा साधु-संन्यासी धूनी रमा कर, अपने अस्त्र-शस्त्र, ध्वजा, ढोल-नगाडें, डमरू लेकर अमृत स्नान की शोभा यात्रा की तैयारी कर रहे हैं।
महाकुम्भ के अमृत स्नान का सनातन आस्था में विशेष महत्व है। अनादि काल ले साधु, संन्यासियों और श्रद्धालुओं की महाकुम्भ के अमृत काल में संगम स्नान करने की परंपरा रही है।
आदि शंकराचार्य की प्रेरणा से बने अखाड़े महाकुम्भ में दिव्य शोभा यात्रा के साथ अमृत स्नान करते हैं। मान्यता अनुसार मकर संक्रांति के पर्व पर महाकुम्भ का पहला अमृत स्नान होता है। परंपरा अनुसार सभी अखाड़े अपने-अपने क्रम से अमृत स्नान करते हैं।
शोभायात्रा
महाकुम्भ के अमृत स्नान में अखाड़ों के साधु-संन्यासी परंपरा अनुसार प्रातः काल दिव्य शोभा यात्रा लेकर संगम की ओर प्रस्थान करेंगे हैं। लेकिन अमृत स्नान की शोभा यात्रा निकलने का क्रम रात्रि से ही शुरू हो जाएगा।
अखाड़ों के नागा संन्यासी अपने तन पर भस्म रमा कर,अपनी जटा-जूट का श्रृंगार कर धर्म ध्वजा, तीर-तलवार, भाले, ढोल-नगाड़े लेकर इष्ट देव के जयकारे लगाते हुए संगम की ओर चलेंगे। सबसे पहले अखाड़ों में इष्ट देव का मंत्रोच्चार से पूजन किया जाएगा। इसके बाद स्नान विधि पूजन कर, अखाड़ों के पदाधिकारी अपने-अपने क्रम से रथों, हाथी, घोड़ों पर सवार होकर जयकारे लगाते हुए संगम की ओर बढ़ेंगे।
मेला प्रशासन
सीएम योगी के निर्देशों के मुताबिक मेला प्रशासन अमृत स्नान काल में साधु-संन्यासियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा करवाएगा।
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