नई दिल्ली, 29 जनवरी | वित्त वर्ष 2017-18 के लिए केंद्रीय बजट बुधवार को पेश किया जाएगा। ऐसे में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने रविवार को सरकार से आग्रह किया है कि विवादों और अनावश्यक मुकदमों की संख्या घटाने के लिए बजट में एक सरल और प्रभावी कर विवाद निपटान तंत्र पेश किया जाना चाहिए। सीआईआई ने यहां एक बयान में कहा, “एक सरल, अपेक्षित और मुकदमा मुक्त कर वातावरण कर अनुपालन सुधारने व संसाधानों को जारी करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें विवादों का त्वरित व प्रभावी समाधान निहित हो।”
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “सरकार ने निस्संदेह प्रशंसनीय पहल की है और अनावश्यक मुकदमों की संख्या घटाने के लिए निष्पक्ष प्रावधान किए हैं। लेकिन प्रत्यक्ष व परोक्ष दोनों तरह के कर क्षेत्र में विवाद समाधान तंत्र को मजबूत बनाने के लिए अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है।”
सीआईआई ने सरकार से आग्रह किया है कि मौजूदा विवाद समाधान समिति में आयकर अपीली न्यायाधिकरण के कम से कम एक सेवानिवृत्त सदस्य को शामिल करने के लिए समिति के संविधान में संशोधन किया जाए, ताकि समिति कर परिणामों से संबंधित चिंताओं का स्वतंत्र आकलन कर सके या आदेश पारित कर सके।
सीआईआई ने सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है कि आदेश पारित करने के लिए निर्धारित समय सीमा का अग्रिम आदेश प्राधिकरण (एएआर) द्वारा पालन किया जाए, जिसके पास पर्याप्त संख्या में मामले लंबित पड़े हुए हैं।
सीआईआई ने सिफारिश की है कि सरकार आगामी बजट में एक ऐसा स्पष्टीकरण पेश करे, जिससे जर्मनी, फ्रांस, सिंगापुर और इटली जैसे देशों के करदाता द्विपक्षीय अग्रिम मूल्यनिर्धारण समझौते (एपीए) के लिए अर्जी दाखिल कर सकें।
–आईएएनएस
Follow @JansamacharNews