झारखण्ड विधानसभा में कांके निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए भाजपा विधायक डाॅ जीतू चरन राम से पंकज पुष्कर ने उनके क्षेत्र में किये गये विकास कार्यों के बारे में विस्तार से बातचीत की। यहां प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश :
आपके कार्यकाल के एक हजार दिन बीत चुके हैं…. जनता को वास्तव में कितना खुश कर पाये ?
………सही बात है , हम लोगों ने 22 सितम्बर 2017 को हजार दिन पूरे कर लिए है और इतने दिनों में हमारी सरकार ने पूरी ईमानदारी से अपना काम करने का प्रयास किया है । धरातल पर काम दिख भी रहा है । जहाॅ तक आपने पूछा कि जनता कितनी खुश है तो इसमें हम कहना चाहेंगे कि जन समस्याऐं अनंत हैं और सारी समस्याओं का समाधान एक टाइम पीरियड में संभव नहीं हो सकता है। इसके लिए हजार दिन तो क्या 5 हजार दिन भी लगाना पडें तो यह कम होगा । हम लोग जनता की समस्याओं के अधिक से अधिक समाधान की कोशिश में लगे हुए हैं।
अपने क्षेत्र में आपके द्वारा किये गये कुछ प्रमुख कार्यों के बारें में बताएं?
……….देखिए शपथ ग्रहण करने के बाद सबसे पहले मैंने अपने क्षेत्र के प्रखंण्डो का दौरा शुरू किया । वहाॅ की प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करने का प्रयास तेज किया क्योकि सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं उन्हें लागू करने की बडी जिम्मेदारी हमारे प्रखण्डों की ही होती है। हमारे अधिकतर प्रखंण्ड भवनों की स्थिति जर्जर थी, उन्हें दुरूस्त कराने का काम शुरू कराया गया। वहाॅ की प्रबंधन व्यवस्था को पारदर्शी बनाने का काम शुरू किया । प्रखंण्डों में बिचैलियों की घुसपैठ को खत्म किया । एक साफ सुथरी जन सहयोगी प्रबंधन व्यवस्था को सुचारू रूप देने का प्रयास किया। कुछ ही दिनों में इसका परिणाम भी दिखने लगा। गाॅव के गरीब लाचार असहायों का काम आसानी से होने लग गया जिसे मैं समय समय पर अपने औचक निरीक्षणों के द्वारा और भी दुरूस्त बनाने के प्रयास किये।
किसान भाईयों के लिए फसल बीमा को बहुत पारदर्शी तरीके से लागू कराया। हमने आदर्श प्रखंण्ड की परिकल्पना को साकार कराया। हमने अपने क्षेत्र में जरूरी सडकों का निर्माण शुरू कराया, जो सडकें पिछले कई सालों से नहीं बन पा रहीं थीं । सूदूर क्षेत्रों जैसे ठाकूरगाॅव, बुढमू, उमेडण्डा, कोठा राय जैसी जगहों को राज्य पथ से जोडने का काम कराया जिससे आम लोगो का जीवन सुगम हुआ है।
हमारा विधानसभा क्षेत्र कांके पहले से ही एक एजुकेशन हब रहा है परंतु पिछले कुछ वर्षो से इसकी स्थिति चिंताजनक थी। जैसे बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत पशु महाविद्यालय मृत प्राय: होगया था। इस महत्वपूर्ण संस्थान को सरकार के सहयोग से पुन: जीवित किया गया । बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में कुछ नये रोेजगार परक पाठ्यक्रमों को शुरू कराने के प्रयास किये गये । बिजली की व्यवस्था को भी हमने बहुत सुधारा ।
गांवों में स्वरोजगार को बढावा देने के लिए हमने स्किल डेवलेपमेंट प्रोग्राम शुरू कराये परंतु इतना कुछ करने के बावजूद अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है जिसके लिए मैं निरंतर प्रयासरत हॅू।
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