दुनिया में 82 करोड़ से ज़्यादा आबादी के पास पर्याप्त भोजन नहीं

António Guterresदुनिया में 82 करोड़ से ज़्यादा आबादी के पास पेट भरने के लिए पर्याप्त भोजन (Eating food) उपलब्ध नहीं है. खान-पान की ग़लत आदतों की वजह से बीमारियों का जोखिम बढ़ रहा है. साथ ही जलवायु आपदा खाद्य सुरक्षा के लिए ख़तरा बढ़ा रही है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने संदेश में कहा कि एक ओर भुखमरी (hunger) का सामना कर रहे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर हर साल दुनिया भर में एक अरब टन से भी ज़्यादा भोजन बर्बाद कर दिया जाता है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मानव समाज का हिस्सा होने के नाते, भुखमरी (Hunger) से मुक्त दुनिया हम सबकी ज़रूरत है.

“अब हमें अपनी खाद्य उत्पादन व खान-पान की आदतें बदलनी होंगी, जिनमें ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करना भी शामिल हो.”

“सभी टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए खाद्य व्यवस्था को बदलना बहुत ज़रूरी है. इसीलिए मैंने 2021 में खाद्य प्रणाली सम्मेलन आयोजित करने की आस लगाई है. ये टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए कार्रवाई दशक का हिस्सा होगा.”

पोषक भोजन जैसे फलों और सब्ज़ियों की पैदावार के लिए किसानों को प्रोत्साहन देने के बजाय कई देश कम पोषण वाले खाद्य पदार्थों – गेंहूं, चावल, मक्का – को सब्सिडी दे रहे हैं. इससे पोषण और आहार की विविधता पर असर पड़ रहा है.

फोटो   : आलू फ्राइ चिप्स के साथ हैमबर्गर. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बहुत ज़्यादा चर्बी वाले खाद्य पदार्थों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं. ऐसे खाद्य पदार्थों से मोटापा बढ़ रहा बताया गया है.

ग़रीब देशों में अंडा, दूध, फल और सब्ज़ी के दाम ज़्यादा होते है जिससे ग़रीबी में घिरे लोग उनका सेवन नहीं कर पाते.

अमीर देशों में और निम्न आय वाले देशों में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थ सस्ती दरों पर आसानी से उपलब्ध होते हैं.
स्वास्थ्य के लिए ख़राब ख़ुराक से हृदय रोग, मधुमेह (डायबिटीज़) और कुछ प्रकार के कैंसर का शिकार होने वाले मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है जिसका असर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बजट पर भी पड़ रहा है.

अनुमान जताया गया है कि मोटापे (obesity)से आर्थिक उत्पादकता और स्वास्थ्य क़ीमतों पर 2 ट्रिलियन डॉलर का बोझ पड़ेगा.

विश्व खाद्य दिवस पर रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (UNFAO) के मुख्यालय में कार्यक्रम आयोजित हुए जिसमें वक्ताओं ने निडर और त्वरित कार्रवाई की अपील की है ताकि सर्वजन के लिए स्वस्थ, टिकाऊ व किफ़ायती आहार की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके.

इस वर्ष विश्व खाद्य दिवस की थीम Our actions are our future. Healthy diets for a #ZeroHunger world है जिसकी पृष्ठभूमि में बढ़ती भुखमरी के साथ-साथ बच्चों में बढ़ते वज़न और मोटापे की समस्या भी है.

यूएन खाद्य एजेंसी के महानिदेशक क्यू डोंग्यू ने अपने संबोधन में सचेत किया कि अगर अभी कार्रवाई नहीं की गई तो वर्ष 2030 तक टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भुखमरी (Hunger) और कुपोषण बड़े अवरोध बन जाएंगे.

“हमें मज़बूत राजनैतिक इच्छाशक्ति और संकल्प की आवश्यकता है. हमें पोषण के लिए और पोषण में निवेश की आवश्यकता है. हमें हाथ से हाथ मिलाकर चलने और स्वस्थ व टिकाऊ भोजन प्रणालियाँ बनाने की ज़रूरत है.”

यूएन खाद्य एजेंसी और साझेदार सगंठनों का मानना है कि कुपोषण के हर स्वरूप को दूर करने के समाधान मौजूद हैं लेकिन उसके लिए वैश्विक संकल्प और कार्रवाई का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है.

स्रोत : 16 अक्टूबर 2019, संयुक्त राष्ट्र समाचार