भोपाल, 15 नवंबर | भाजपा सांसद किरण खेर के अभिनेता पति अनुपम खेर ने यहां मंगलवार को कहा कि वह जब देशभक्ति की बात करते हैं तो कुछ लोगों को परेशानी होने लगती है। राजधानी के विधानसभा परिसर में तीन दिनों से चल रहे लोक-मंथन के समापन समारोह में पहुंचे खेर ने कहा, “देशभक्ति हमें न सिखाओ। यह सही है कि कोई किसी को देशभक्ति नहीं सिखा सकता, यह तो भीतर से आती है। देशभक्ति हमारे खून में है। जब भी अवसर आता है, यह प्रकट होती है। देशभक्ति की बात से यदि किसी को पीड़ा होती है तो होने दीजिए, हम तो अपना काम करेंगे।”
उन्होंने कहा, “पिछले दो-तीन वर्षो में असहिष्णुता और देशभक्ति के विषय जान-बूझकर उठाए गए हैं। जब असहिष्णुता की बहस शुरू की गई, तब मेरे भीतर का भारतीय जागा और उसने कहा कि यह चुप रहने का समय नहीं है। इस कारण मैंने असहिष्णुता पर सवाल उठाने वालों का खुलकर विरोध किया।”
खेर ने कहा कि वह कश्मीरी पंडित हैं, इसलिए उनकी रगों में देशभक्ति है। अपने ही देश में निर्वासित होने के बाद भी कश्मीरी पंडितों ने कभी भी देश के खिलाफ कोई बात नहीं कही।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि बौद्ध धार्मिक गुरु सोमदोंग रिनपोछे ने लोक-मंथन को समयानुकूल बताते हुए कहा कि यह एक नई दिशा देगा। लोक-मंथन की महत्ता इस बात से है कि इसमें देश, काल, स्थिति को विचार के रूप में स्वीकार करते हुए ‘राष्ट्र सवरेपरि’ को महत्व दिया गया है।
उन्होंने कहा, “आज चारों ही स्थितियां सहज नहीं हैं। देश में प्रदूषण का बोलबाला है। स्वच्छ पानी नहीं है। गति की शीघ्रता एवं स्थिति की स्थिरता ने विचित्र परिस्थिति पैदा कर दी है। हर व्यक्ति चुनौतियों की चर्चा करता है। समाधान किसी के पास नहीं है।”
रिनपोछे ने आगे कहा कि हिंसा की अत्यधिक वृद्धि, युद्ध और आतंकवाद के रूप में दिखाई देती है। मनुष्य कहीं भी स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं करता है। महाभारत का युद्ध 18 दिन में समाप्त हो गया, लेकिन वियतनाम का 18 वर्ष चला। अपना शस्त्र बाजार बनाए रखने के लिए तब भी हिंसा हुई, जो आज तक जारी है।
उन्होंने कहा कि प्रदूषण के लिए प्लास्टिक को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन प्लास्टिक उत्पादन रोकने की बात नहीं होती।
लोक-मंथन आयोजन समिति के कार्याध्यक्ष डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी और आयोजन समिति के सचिव ज़े नंदकुमार ने भी अपने विचार रखे।
–आईएएनएस
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