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पिता-पुत्र में बंटी सपा, अखिलेश, रामगोपाल 6 वर्ष के लिए निष्कासित

लखनऊ , 30 दिसंबर | उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आखिरकार सपा दो भागों में बंट गई। विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा को लेकर बीते कई दिनों से मची खींचतान के बीच सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पार्टी अनुशासन भंग करने का आरोप लगाते हुए अपने पुत्र और राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया।

अखिलेश के समर्थक और सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव की ओर से राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाए जाने के कुछ ही मिनटों के भीतर मुलायम ने एक संवाददाता सम्मेलन बुलाकर अखिलेश के साथ-साथ रामगोपाल यादव को भी निष्कासित करने का एलान कर दिया।

पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा के कुछ ही देर बाद अखिलेश के समर्थक सड़कों पर उतर आए अखिलेश की तस्वीरों वाली तख्तियां लिए विरोध प्रदर्शन करने लगे।

पार्टी से निष्कासित करने के मुलायम के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए रामगोपाल ने कहा है कि उन्हें असंवैधानिक तरीके से पार्टी से बाहर निकाला गया है।

मुलायम सिंह, अखिलेश को निष्कासित करने की घोषणा करते हुए भावुक नजर आए, हालांकि उन्होंने कहा कि अखिलेश राज्य के मुख्यमंत्री नहीं रहे और पार्टी फैसला करेगी कि अखिलेश की जगह मुख्यमंत्री कौन होगा।

मुलायम ने कहा, “दुनिया में ऐसी कोई पार्टी नहीं है, जिसमें एक पिता ने अपने बेटे के लिए इतना किया हो, जितना मैंने अखिलेश के लिए किया है। मैंने अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाया। और अब वह मेरी राय तक नहीं लेता। मैंने पार्टी को बचाने के लिए अखिलेश को निष्कासित किया। उसका भविष्य रामगोपाल ने बर्बाद कर दिया है।”

जब उनसे पूछा गया कि उप्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, तो उन्होंने कहा कि इसका फैसला जल्द ही किया जाएगा।

मुलायम ने कहा, “अखिलेश ने अनुशासनहीनता की, इसलिए उन्हें पार्टी से निकाला गया। रामगोपाल अखिलेश का भविष्य खत्म कर रहे हैं और अखिलेश उनकी चाल समझ नहीं पा रहे हैं। उन्होंने जानबूझकर ऐसी स्थिति पैदा की।”

सपा अध्यक्ष ने पार्टी कार्यकर्ताओं से रामगोपाल द्वारा बुलाई गई पार्टी के आपात सम्मेलन में शामिल न होने की अपील भी की। उन्होंने कहा, “रामगोपाल की तरफ से बुलाया गया पार्टी का सम्मेलन असंवैधानिक है, क्योंकि ऐसा अधिवेशन बुलाने का अधिकार केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष को है। रामगोपाल ने ऐसा कर घोर अनुशासनहीनता की है। दो दिन के भीतर ही अन्य राज्यों से पदाधिकारी कैसे यहां पहुंचेंगे। रामगोपाल को और कड़ी सजा दी जाएगी।”

मुलायम ने कहा, “राष्ट्रीय अधिवेशन की घोषणा करते समय मुझसे अनुमति नहीं ली गई। अधिवेशन के लिए कम से कम 10 दिन का समय दिया जाना चाहिए था। रामगोपाल को अखिलेश का समर्थन प्राप्त था। लिहाजा, उन्हें भी छह वर्षो के लिए पार्टी से निकाला जाता है।”

पार्टी से निष्कासित होने के बाद रामगोपाल ने पत्रकारों से कहा, “पार्टी के भीतर पूरा काम ही असंवैधानिक हो रहा है। जब मुझसे जवाब मांगा गया था, तब निकालने की क्या जरूरत थी। यह तो असंवैधानिक है।”

मुलायम पर पलटवार करते हुए रामगोपाल ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष व प्रदेश अध्यक्ष ने मिलकर टिकटों की घोषणा कर दी। क्या टिकट पर चर्चा करने के लिए संसदीय बोर्ड की बैठक कभी बुलाई गई? क्या संसदीय बोर्ड का कोई मतलब नहीं है?

रामगोपाल ने कहा कि राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया गया है और वह पूरा होगा। आपातकालीन अधिवेशन ऐसे ही बुलाया जाता है। उसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं की जाती।

अखिलेश को पार्टी से निकाले जाने के बाद अखिलेश समर्थकों ने जमकर हंगामा किया और एक समर्थक ने आत्मदाह का भी प्रयास किया, जिसे हिरासत में ले लिया गया है। मुख्यमंत्री आवास पर सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है।

अखिलेश समर्थकों ने सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ नारेबाजी की और उनका पोस्टर फाड़े।

इस दौरान लगभग 100 से अधिक विधायक और कई मंत्री मुख्यमंत्री से मिलने उनके आवास पर पहुंचे।

इस बीच अखिलेश की ओर से सपा नेता अतुल प्रधान ने बाहर आकर कार्यकर्ताओं से शांत रहने की अपील की। प्रधान ने अखिलेश के हवाले से कहा, “नेताजी के खिलाफ कोई भी अपशब्द का प्रयोग नहीं करेगा। आप लोग शांत रहिए। मुख्यमंत्री समय मिलने पर जरूर मिलेंगे।”

मुलायम सिंह ने विधानसभा 2017 के लिए पहले 325 की सूची जारी की थी। इस सूची में अखिलेश के करीबियों का टिकट काट दिया गया था। इसके बाद अखिलेश ने भी बगावती सुर अपनाते हुए गुरुवार की देर रात 235 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी थी। नाटकीय घटनाक्रम में गुरुवार की ही देर रात शिवपाल यादव ने 68 प्रत्याशियों की दूसरी सूची भी जारी कर दी। बगावती सुर अखिलेश पर भारी पड़ गया।

–आईएएनएस