नई दिल्ली, 29 फरवरी। देश में खिलाड़ियों को योग्यता और भागीदारी प्रमाणपत्र जारी करने में अधिक पारदर्शिता और दक्षता लाने के उद्देश्य से, युवा मामले और खेल मंत्रालय ने सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना मंत्रालय, डिजिलॉकर के माध्यम से प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया है।
युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “इस साल 1 जून से, डिजिलॉकर के माध्यम से फेडरेशन द्वारा जारी किए गए प्रमाणपत्र ही मान्य होंगे और जारी किए गए किसी भी भौतिक प्रमाणपत्र को सरकार और अन्य लाभों के लिए मान्यता नहीं दी जाएगी। हमने महासंघों को सलाह दी है कि उनकी संबद्ध इकाइयां भी अगले साल 1 जनवरी (2025) से डिजीलॉकर के माध्यम से प्रमाणपत्र जारी करना शुरू कर दें।
ठाकुर ने यह भी कहा कि डिजीलॉकर के माध्यम से खेल प्रमाणपत्र जारी करने से कई लाभ होंगे, जिनमें प्रमाणपत्रों तक पहुंच और साझा करना, भौतिक प्रतियों की आवश्यकता को समाप्त करना, दस्तावेजों के भंडारण और सत्यापन के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करना, उनकी अखंडता और प्रामाणिकता सुनिश्चित करना शामिल है।
उन्होंने कहा कि प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की ऐसी पद्धति प्रशासनिक बोझ को कम करेगी और योग्य एथलीटों को प्रमाणपत्र वितरित करने में लगने वाले समय को कम करेगी और कदाचार की गुंजाइश को खत्म करने के लिए तकनीकी प्रगति के उपयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगी।
वर्तमान में लगभग सभी शैक्षणिक और सरकारी प्रमाणपत्र डिजीलॉकर के माध्यम से निर्बाध रूप से जारी किए जाते हैं। इसलिए, यह स्वाभाविक है कि महासंघों और उनकी संबद्ध इकाइयों द्वारा जारी किए गए खेल योग्यता और भागीदारी प्रमाणपत्र डिजीलॉकर के माध्यम से एथलीटों और अन्य हितधारकों के लिए सुलभ हैं, उन्होंने कहा।
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