नई दिल्ली, 30 मई (जनसमा)। एसटी कोटे के किसी भी सरकारी कर्मचारी को सीधे-सीधे किसी भी तरह की बडी सजा या दण्ड नहीं दिया जा सकेगा। सजा या दण्ड देने के लिए मामले की जांच की जाएगी और उसके लिए एक समिति बनानी होगी। जांच समिति में अनुसूचित जनजाति के कम से कम दो सदस्य अवश्य होंगे।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes) के अध्यक्ष नंद कुमार साय की अध्यक्षता में मंगलवार को नई दिल्ली में आयोग की बैठक में यह फैसला किया गया।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से कहा है कि वे सभी मंत्रालयों एवं विभागों को निर्देश जारी करे कि वे आयोग की सलाह/संस्तुति पर आवश्यक कार्रवाई करें। यदि विभागों को कार्रवाई करने में कोई समस्या आती है तो वे उच्च न्यायालय जाने से पूर्व संबंधित मंत्रालय की अनुमति अवश्य प्राप्त करें।
आयोग के संयुक्त सचिव शिशिर कुमार ने बताया कि अनुसूचित जनजाति के कार्मिक न्याय से वंचित न हों इसके लिए आयोग ने यह निर्णय किया है। आयोग की संस्तुति के अनुसार मंत्रालयों एवं विभागों में यदि जांच के लिए अनुसूचित जनजाति के अधिकारी मौजूद नहीं हैं तो उस समिति में अन्य विभागों के अनुसूचित जनजाति के अधिकारियों को शामिल किया जाये।
Follow @JansamacharNews