मुंबई में एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने गुजराती में लिखे साइन बोर्ड हटाने का अभियान शुरू किया है। उधर बैंगलूरू में हिन्दी के पोस्टर्स और साइन बोर्डों पर कालिख पोती जारही है।
भारत की सभी भाषाएं और बोलियां भारत माता की जुबान हैं। ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाने वालों से यह पूछा जाए कि वे उस माता की जुबान को काटने का दुःसाहस कैसे कर रहे हैं। यह सवाल अपने आपको देशभक्त बताने वाली एमएनएस जैसी पार्टियों से तो साफ साफ पूछा जासकता है, जिसका अस्तित्व मुंबई के कुछ गली-मोहल्लों तक ही सीमित है।
एमएनएस कार्यकर्ताओं ने 28 जुलाई, 2017 को मुंबई के माहिम में गुजराती भाषा में लिखे एक दुकान के साइनबोर्ड को हटा दिया। (फोटो: आईएएनएस)
राज्य सरकारों को ऐसे कुकृत्य करने वालों को गंभीरता से लेना चाहिए और भाषा के नाम पर दबंगई को सख्ती से दबाया जाना चाहिए।
भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम हैै और उस पर प्रहार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार के समान है। देश में कहीं भी, कोई भी किसी को भी अमुक भाषा बोलने के लिए दबा नहीं रहा है।
याद रहे जिन राजनीतिक दलों की जमीने हिल रही हैं या खिसक चुकी हैं, उन्हें राष्ट्रद्रोह से मिलते-जुलते काम नहीं करना चाहिए। इससे देश की एकता और अखण्डता को चोट पहुंचती है।
एमएनएस के लोग क्या कभी गुजरात नहीं जाएंगे? क्या कोई हिन्दी भाषी कर्नाटक में नहीं रहेगा? क्या एमएनएस और कर्नाटक में हिन्दी विरोधी मूवमेंट चलाने वाले दिल्ली,जयपुर,बनारस नहीं जाएंगे? तो ऐसे घृणित और स्वार्थपूर्ण राजनीति करने वालों के विरुद्ध देशप्रेमी जनता को अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।
भारत की सभी बोलियां और भाषाएं हमारी विरासत और विशेषता है। देश की इस विरासत पर प्रहार, देश की एकता पर प्रहार के समान है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। – बृजेन्द्र रेही
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