ग्रेटर नोएडा, 7 नवंबर | तंबाकू और इससे संबंधित बीमारियों के कारण हजारों परिवार पर बढ़े आर्थिक बोझ को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा ने सोमवार को बच्चों और किशोरों के बीच तंबाकू के इस्तेमाल पर रोक लगाने को कहा। यह एक ऐसी आदत है, जिससे भारत में हर साल दस लाख लोग मरते हैं। सीओपी 7 डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर नड्डा ने कहा, “भारत और दुनिया के अन्य भागों में तंबाकू से होने वाली लाखों लोगों की मौत को राकने के लिए हमें अब भी बहुत कुछ करना है। तंबाकू के इस्तेमाल के कारण लोगों पर एक बड़ा आर्थिक बोझ है।”
तंबाकू के उपभोग पर रोक लगाने के विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) के लक्ष्य के प्रति भारत की पूरी प्रतिबद्धता दोहराते हुए मंत्री ने कहा कि भारत के अधिकांश भागों में तंबाकू सामाजिक व संस्कृति का हिस्सा है। तंबाकू के बढ़ते उपभोग के पीछे यह एक प्रमुख कारण है।
नड्डा ने कहा, “भारत में तंबाकू नियंत्रण के लिए यह साल मील का पत्थर है, क्योंकि सरकार ने इस साल अप्रैल महीने से 85 प्रतिशत सचित्र चेतावनी लागू की है। अब पान मसाला और तंबाकू चबाने पर पूर्ण प्रतिबंध है।”
भारत तंबाकू नियंत्रण (एफसीटीसी) करार पर छह दिवसीय सीओपी 7 फ्रेमवर्क सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। यह तंबाकू नियंत्रण नीतियों पर विश्व का सबसे बड़ा सम्मेलन है, जिसका आयोजन भारत में हो रहा है।
यह सम्मेलन डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी के 180 देशों को एक साथ जोड़ेगा, जिसमें विश्व के प्राय: प्रत्येक देश के साथ-साथ यूरोपीय संघ जैसे क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण संगठन शामिल हैं।
नड्डा ने कहा कि विश्व में तंबाकू के इस्तेमाल रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी के नियम मजबूत उपाय हैं।
सीओपी 7 एफसीटीसी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ोने और दुनिया भर में, खास तौर पर दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रों में डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी को लेकर जागरूकता फैलाने के प्रति भारत सरकार की मजबूत और उदार प्रतिबद्धता का संकेत देता है।
सम्मेलन डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी के क्रियान्वयन और तंबाकू का अवैध व्यापार खत्म करने के लिए प्रोटोकॉल की समीक्षा करेगा। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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