मध्य प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि राजधानी भोपाल में सड़कों पर आवारा घूमते पाँच हजार से अधिक निराश्रित गाय-बैलों को गौ-शालाओं में रखा जायेगा।
सरकार शुरूआती दौर में भोपाल नगर में आवारा घूमते निराश्रित गाय-बैलों को पकड़कर गौ-शालाओं में रखेगी। इस अभियान की शुरूआत 16 जनवरी से की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में अनुमानित लगभग 6 लाख निराश्रित गौ-वंश है।
यह निर्णय पशुपालन, मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास मंत्री लाखन सिंह यादव की अध्यक्षता में शुक्रवार को मंत्रालय में हुई अन्तर्विभागीय बैठक में लिया गया।
यादव ने कहा कि प्रदेश में निराश्रित गौ-वंश का यूआईडी टैग से पंजीयन किया जा रहा है। सबसे पहले हाई-वे के आसपास के क्षेत्र के ग्रामों में गौ-शाला खोलेंगे। शुरूआत पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर भोपाल से की जा रही है।
उन्होंने संभागायुक्त, कलेक्टर और आयुक्त नगर निगम से कहा कि अभियान को युद्ध स्तर पर शुरू करें।
अभियान शुरूआत के एक सप्ताह बाद 22 से 25 जनवरी के बीच वे नगर के उस हिस्से का जायजा लेंगे, जहाँ से निराश्रित गौ-वंश को हटाया गया है।
उन्होंने कहा कि निरीक्षण के दौरान अगर निराश्रित गाय.बैल मिलते हैं, तो क्षेत्र के संबंधित जिम्मेदार अधिकारी.कर्मचारी के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जायेगी।
अपर मुख्य सचिव ने दिये निर्देश
एसीएस श्रीवस्तव ने कलेक्टर भोपाल से कहा कि अगले तीन दिन में वह नगर के सभी 7 कांजी हाऊस की कुल क्षमता का आकलन कर लें ताकि निराश्रित गौ.वंश को वहाँ रखा जा सके।
जिले में संचालित सभी 27 गौ-शालाओं के प्रबंधकों से चर्चा कर उनकी गौ-शाला की क्षमता का आंकलन कर गौ-वंश रखने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। इसके अतिरिक्त गौ-शाला की अन्य व्यवस्था भी सुनिश्चित करें।
श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसे पशुपालक, जो सड़कों पर गायों को निराश्रित स्थिति में छोड़ देते हैं, उन्हें ताकीद किया जाये कि 15 जनवरी के बाद उनकी गाय सड़कों पर या खुले स्थान पर मिलती है, तब गाय को कांजी हाऊस, गौ-शाला में भेज दिया जायेगा और पशुपालक के विरुद्ध हैवी पैनल्टी लगाई जायेगी।
बताया गया कि मध्य प्रदेश में 4 लाख 37 हजार 910 निराश्रित पशुओं की संख्या है। प्रदेश में कुल पंजीकृत 1285 गौ-शाला में 614 क्रियाशील हैं, जिनमें एक लाख 53 हजार 834 गौ-वंश है। गौ-वंश की संख्या वर्ष 2012 की पशु संगणना के आधार पर है।
वर्ष 2018 में विभाग द्वारा अनुमानित लगभग 6 लाख निराश्रित गौ-वंश है। निराश्रित गौ-वंश के लिये गौ-शाला खोलने के लिये स्थान चिन्हित करने और गौ.शाला संचालन के लिये वित्तीय प्रबंधन आदि पर भी चर्चा की गई।
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