मुंबई , 23 फरवरी। उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि उद्योग जगत में सरोगेट विज्ञापनों के प्रसार को प्रतिबंधित करने की बहुत आवश्यकता है। अगर संबंधित प्रतिबंधित उद्योग इस दिशा-निर्देश का पालन करने में विफल रहते हैं और मौजूदा कानूनों का पालन नहीं करते हैं तो उनपर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
उन्होने कहा “प्रतिबंधित श्रेणियों में उत्पादों को बढ़ावा देने वाले सरोगेट विज्ञापनों से उपभोक्ताओं को अधिकारों का हनन होता है और इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। ”
रोहित कुमार सिंह, उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) द्वारा गुरुवार को मुंबई में भारतीय विज्ञापन मानक परिषद के सहयोग से आयोजित “ब्रांड एक्सटेंशन बनाम सरोगेट विज्ञापन – लाइन कहां है?” विषय परहितधारक परामर्श बैठक में बोल रहे थे।
उन्होने कहा कि हम सभी हितधारकों के साथ मिलकर इस उभरते मुद्दे से निपटने के लिए एक साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उपभोक्ता कार्य विभाग ने पूर्ण स्पष्टता के साथ अपने रुख की पुष्टि की है कि सरोगेट विज्ञापन में किसी की लगातार भागीदारी को माफ नहीं किया जाएगा। यह रेखांकित किया गया कि गैर-अनुपालन के किसी भी उदाहरण को संबोधित करने के लिए कड़े उपायों को लागू किया जाएगा और इसके उल्लंघन में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर एवं निर्णायक कार्रवाई की जाएगी।
परामर्श बैठक में इन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की गई :
- ब्रांड एक्सटेंशन एवं विज्ञापित प्रतिबंधित उत्पाद या सेवा के बीच स्पष्ट अंतर होना चाहिए।
- विज्ञापन में या दृश्य में केवल विज्ञापित किए जा रहे उत्पाद को दर्शाया जाना चाहिए और किसी भी रूप में निषिद्ध उत्पाद को नहीं दिखाया जाना चाहिए।
- विज्ञापन में निषिद्ध उत्पादों का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उल्लेख नहीं होना चाहिए।
- विज्ञापन में निषिद्ध उत्पादों का प्रचार करने वाली कोई भी भेद या वाक्यांश नहीं दिखाया जाना चाहिए।
- विज्ञापन में प्रतिबंधित उत्पादों से संबंधित रंग, लेआउट या प्रस्तुतियों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- विज्ञापन में अन्य उत्पादों का विज्ञापन करते समय निषिद्ध उत्पादों के प्रचार के लिए विशिष्ट पस्थितियों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।