उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने यह सुझाव दिया कि कृषि पाठ्यक्रमों को पूरा कर रहे विद्यार्थियों को कम से कम छह महीने किसानों के साथ बिताना चाहिए ताकि उनकी समस्याओं की सही जानकारी मिल सके।
उपराष्ट्रपति हैदराबाद में गुरूवार को एग्री-विजन-2019 का उद्घाटन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कृषि ऋण माफी जैसे थोड़े समय के उपायों से कुछ समय के लिए तो मिलेगी लेकिन दीर्घकालिक रूप से किसानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा।
उत्पादकता में गिरावट, प्राकृतिक संसाधनों की कमी और अवमूल्यन, खाद्यान की तेजी से बढ़ती मांग, एक स्तर पर टिकी कृषि आय, छोटे भूखंड के तथा अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन भारतीय कृषि के समक्ष प्रमुख चुनौतियां हैं।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक कृषि लाभकारी नहीं होगी और सतत आय सुनिश्चित करने के लिए किसानों को संबंधित गतिविधियों की ओर मुड़ना होगा।
नायडू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने तथा कृषि को पर्यावरण संगत और सतत बनाने के लिए डिजीटल टेक्नॉलोजी आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि डिजीटल टेक्नोलॉजी से कृषि क्षेत्र की अनिश्चितता को दूर करने और संसाधनों को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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