सुब्रत रॉय की पैरोल अवधि बढ़ी, जमा कराने होंगे 300 करोड़ रुपये

नई दिल्ली, 3 अगस्त | सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के पैरोल की अवधि 16 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी और उन्हें जेल से बाहर रहने के लिए 300 करोड़ रुपये और जमा करने के लिए कहा। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे तथा न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने 300 करोड़ रुपये की रकम जमा कराने के लिए रॉय को 15 सितंबर तक का वक्त दिया है। न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा है कि रकम जमा कराने में नाकाम होने पर उन्हें फिर से तिहाड़ जेल भेज दिया जाएगा।

रॉय की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय से अपील की कि वह आदेश में इस बात का जिक्र न करे कि 300 करोड़ रुपये जमा कराने में नाकाम होने पर उन्हें फिर से जेल भेज दिया जाएगा। इसके बाद प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, “यह कहने की जरूरत नहीं है कि अगर आप 300 करोड़ रुपये जमा नहीं करा पाते हैं, तो आपको फिर जेल जाना पड़ेगा।”

सहारा प्रमुख को पांच मई को उनकी मां के निधन के बाद छह मई को पैरोल मिली था। उनके बहनोई अशोक रॉय को भी पैरोल दी गई थी। 11 मई को पैरोल दो महीने के लिए बढ़ा दी गई थी, जिसके बाद इसे तीन अगस्त तक और फिर बुधवार को छह सितंबर तक के लिए बढ़ा दी गई।

300 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश देने के अलावा, पीठ ने सहारा से अचल संपत्ति की सूची सेबी को मुहैया कराने के लिए कहा है।

न्यायालय ने रॉय की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने साल 2008 तथा 2009 में वैकल्पिक रूप से पूरी तरह परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) के जरिये निवेशकों द्वारा जमा कराई गई राशि को उन्हें वापस करने के लिए सहारा की संपत्ति को बेचने की अनुमति मांगी थी।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति ने कहा, “हम इसकी मंजूरी नहीं दे सकते। हमारे साथ इस तरह का खेल खेलना बंद कीजिए। हम इससे थक चुके हैं।”

उन्होंने यह टिप्पणी तब की जब सिब्बल ने सहारा को अपनी संपत्ति को बेचने में सेबी के हस्तक्षेप को खत्म करने की मांग करते हुए पीठ से कहा कि बाजार नियामक ई-नीलामी के जरिये जिन ग्राहकों की तलाश कर रहा है, उससे अच्छा ग्राहक उन्हें (सुब्रत रॉय) मिल जाएगा।

पीठ ने उस संपत्ति का संदर्भ दिया, जिसके बारे में सिब्बल ने कहा कि उसे सहारा को सेबी की ई-नीलामी से मिलने वाले ग्राहकों की कीमत से अच्छी कीमत मिल रही है। पीठ ने कहा कि वे उस खरीदार को नियामक से संपर्क करने के लिए कहें।

सेबी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अरविंद दत्तार ने पीठ का ध्यान सहारा समूह की अंबे वैली प्रॉपर्टी की तरफ खींचा जिसकी कीमत 40 हजार करोड़ रुपये है और इसके बारे में सिब्बल ने जवाब दिया, “आप क्यों चाहते हैं कि मैं सोने का अंडा देने वाली अपनी मुर्गी को बेच दूं।”

पीठ ने सिब्बल को याद दिलाया कि उन्होंने पहले दावा किया था कि इसकी कीमत 1,87,000 करोड़ रुपये है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “आपको पता है कि इसमें कितने शून्य लगे हैं।”

सुब्रत रॉय, उनके बहनोई अशोक रॉय चौधरी तथा रवि शंकर दूबे को उनकी दो कंपनियों द्वारा न्यायालय के 31 अगस्त, 2012 के आदेश का पालन नहीं करने पर चार मार्च, 2014 को न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया था।

सुनवाई की अगली तारीख 16 सितंबर मुकर्रर की गई है।

–आईएएनएस