जम्मू-कश्मीर में बीते शनिवार चिनाब नदी के मार्ग को मोड़ दिया गया। यह कार्य एक पनबिजली परियोजना के लिए किया गया।
सिंधु नदी की एक सहायक नदी चिनाब हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले के टांडी में चंद्रा और भागा नदियों के संगम से बनती है। इसे चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है।
यह नदी जम्मू क्षेत्र से होकर पंजाब के मैदानी इलाकों से बहती हुई पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में आगे बढ़ जाती है। चिनाब का पानी भारत और पाकिस्तान द्वारा सिंधु जल समझौते की शर्तों के अनुसार साझा किया जाता है। यह नदी किश्तवाड़ से 12 किलोमीटर दूर भंडारे कोट में मरु नदी में शामिल हो जाती है।
जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ जिले के द्रबशल्ला में 27 जनवरी, 2024 की सुबह 11.30 बजे मोड़ सुरंगों के माध्यम से चिनाब नदी के मार्ग को मोड़ने के साथ प्रदेश में 850 मेगावाट की रैटल पनबिजली परियोजना में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की गई।
नदी मोड़ से बांध की खुदाई और निर्माण की महत्वपूर्ण गतिविधि शुरू करने के लिए नदी तल पर बांध क्षेत्र को अलग किया जा सकेगा। इससे बांध निर्माण गतिविधियों में तेजी आएगी और परियोजना कार्य में किसी तरह के विलंब को कम करने में मदद मिलेगी ताकि मई 2026 की निर्धारित तिथि को परियोजनापूरी की जा सके।
नदी मोड़ समारोह का उद्घाटन एनएचपीसी के सीएमडी आर.के. विश्नोई ने किया। इस अवसर पर एच. राजेश प्रसाद, प्रधान सचिव (पीडीडी), जम्मू-कश्मीर सरकार; आई. डी. दयाल, अध्यक्ष, आरएचपीसीएल; पंकज मंगोत्रा, एमडी, जेकेएसपीडीसी; ए.के. नौरियाल सीईओ, आरएचपीसीएल;एनएचपीसी के निदेशकों के साथ ही एनएचपीसी और जम्मू-कश्मीर सरकार के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।
इस रैटल परियोजना को पूरा करने का काम रैटल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आरएचपीसीएल) कर रहा है जो एनएचपीसी लिमिटेड और जम्मू-कश्मीर सरकार का संयुक्त उद्यम है, जिसकी हिस्सेदारी क्रमशः 51:49 प्रतिशत है।
रैटल पनबिजली परियोजना 850 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर स्थित है। इस परियोजना को जनवरी 2021 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने मंजूरी दी, जिसकी कुल लागत 5281.94 करोड़ रुपये(विवरण यहां) है।
Follow @JansamacharNews