नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (जनसमा)। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का सुझाव है कि जीएसटी से संबंधित शिकयतों के समाधान के लिए एक निष्पक्ष जीएसटी लोकपाल गठित हो! जीएसटी कॉउन्सिल में व्यापारियों को प्रतिनिधित्व दिया जाए तथा केंद्र, राज्य एवं जिला स्तर पर संयुक्त जीएसटी कमेटी गठित हो जिसमें अधिकारी एवं व्यापारी शामिल हों!
जीएसटी कॉउन्सिल द्वारा हाल ही में व्यापारियों को जीएसटी के अंतर्गत कुछ राहतें देने का स्वागत करते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि कम्पोजीशन स्कीम को एक करोड़ रुपये तक बढ़ाना, 1 .5 करोड़ तक की टर्नओवर वाले व्यापारियों को तिमाही रिटर्न भरना, ई वे बिल तथा रिवर्स चार्ज को 31 मार्च तक स्थगित करना सरकार के सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं! जीएसटी के वर्तमान हालातों पर कैट शीघ्र ही एक श्वेत पत्र जारी करेगा!
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज जीएसटी पर व्यापारियों का एक नौ सूत्रीय जीएसटी चार्टर जारी करते हुए कहा कि रिवर्स चार्ज क्योंकि महज एक औपचारिकता है और इसका राजस्व पर कोई असर नहीं पड़ेगा इसलिए इसको समाप्त किया जाना चाहिए! ई वे बिल एक ही राज्य में भेजे जाने वाले सामान को छोड़कर केवल अंतर्राज्यीय व्यापार पर ही लागू हो, 100 करोड़ तक का कारोबार करने वाले को तिमाही रिटर्न दाखिल करने एवं 100 करोड़ से अधिक का कारोबार करने पर मासिक रिटर्न भरना तय किया जाए, एचएसएन कोड केवल निर्माताओं पर ही लागू हो, व्यापारियों पर नहीं!
अगर विक्रेता कर नहीं जमा कराता है तो उसकी जिम्मेदारी खरीदने वाले पर न हो बल्कि सरकार कानून के मुताबिक उससे कर वसूल करे! जीएसटी से सम्बंधित शिकयतों के समाधान के लिए एक निष्पक्ष जीएसटी लोकपाल गठित हो!
जीएसटी कॉउन्सिल में व्यापारियों को प्रतिनिधित्व दिया जाए तथा केंद्र, राज्य एवं जिला स्तर पर संयुक्त जीएसटी कमेटी गठित हो जिसमें अधिकारी एवं व्यापारी शामिल हों! 28 प्रतिशत के कर स्लैब पर दोबारा से विचार हो और केवल विलासिता अथवा विनाशकारी वस्तुओं को ही इसमें रखा जाए और बाकि सब वस्तुओं को कम कर स्लैब में डाला जाए!
कैट के मुताबिक जीएसटी का ढांचा और उससे जुडी टेक्निकल चीज़ें जिसमें जीएसटी पोर्टल भी शामिल है, में कमियों के कारण जीएसटी को अपनाना बेहद मुश्किल हो रहा है, जिन पर तुरंत ध्यान दने की जरूरत है!
दूसरी ओर जीएसटी के प्रक्रिया की जानकारी का बेहद अभाव भी मुश्किलें पैदा कर रहा है! इस को देखते हुए देश भर में एक व्यापक जागरूकता अभियान व्यापारी संगठनों के साथ मिलकर चलाया जाना बेहद जरूरी है! जीएसटी को सफल बनाना सरकार ही नहीं व्यापारियों का भी दायित्व है ओर इस दृष्टि से सरकार और व्यापारी एक भागीदार के रूप में जीएसटी को एक सफल कर प्रणाली के रूप में आसानी से विकसित कर सकते हैं!
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