नई दिल्ली, 21 अप्रैल। कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन से वापस लाने की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई बंद कर दी है। न्यायालय ने कहा कि हम केंद्र के जवाब से संतुष्ट हैं कि सरकार प्रयास कर रही है इसलिए इस मामले में कोर्ट को आगे सुनवाई की जरूरत नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह ब्रिटेन को कोहिनूर हीरा लौटाने या उसे नीलाम न करने का आदेश नहीं दे सकता।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनजीओ ऑल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस की कोहिनूर हीरा को देश में वापस लाने का निर्देश देने संबंधी याचिका खारिज करते हुए यह कहा।
सितंबर 2016 को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि कोहिनूर हीरा भारत का है और इसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने महाराजा दिलीप सिंह से जब वह नाबालिग थे, तब उनसे धोखे से जब्त कर लिया था। 105 कैरेट के कोहिनूर को कभी भी ब्रिटेन की महारानी को बतौर तोहफा नहीं दिया गया। इससे देश के लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं।
केहर ने कहा, “हम हैरान हैं कि एक भारतीय अदालत ब्रिटेन में मौजूद किसी चीज को वापस लाने का आदेश कैसे दे सकती है?” अदालत की पीठ ने कहा, “क्या हम यह आदेश दे सकते हैं कि ब्रिटेन को कोई संपत्ति नीलाम नहीं करनी चाहिए?”
याचिकाकर्ता एनजीओ ने अदालत से यह आदेश देने की मांग की थी कि ब्रिटेन कोहिनूर हीरे की नीलामी न करे।
भारत कोहिनूर को ब्रिटेन से वापस लाने के लिए संभावनाएं तलाश रहा है क्योंकि कानूनी रूप से यह संभव नहीं है। हालांकि भारत और ब्रिटेन दोनों UNESCO संधि से बंधे हुए हैं लेकिन कोहिनूर के मामले में भारत अंतरराष्ट्रीय कोर्ट नहीं जा सकता क्योंकि कोहिनूर को संधि से पहले ही भारत से ले जाया जा चुका था।
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