नई दिल्ली, 6 मार्च | सर्वोच्च न्यायालय ने एक महिला के साथ दुष्कर्म और उसे ब्लैकमेल करने के आरोपी उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री गायत्री प्रजापति की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल की सदस्यता वाली पीठ ने यौन दुराचार के मामले में प्रजापति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने का आदेश वापस लेने की उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि गायत्री प्रजापति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के अदालत के आदेश को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।”
पीठ ने कहा कि प्रजापति को यदि गिरफ्तार किया जाता है तो वह संबंधित अदालत में जमानत की अर्जी दे सकते हैं।
पीठ ने कहा, “विभिन्न पक्षों के पास जो भी उपाय हैं, उन्हें उसका लाभ उठाने का अधिकार है।”
अदालत ने साथ ही स्पष्ट किया कि वह उनके खिलाफ मामला नहीं देख रहे हैं और उनका आदेश केवल प्राथमिकी दर्ज कराने तक सीमित है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 17 फरवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस को प्रजापति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को कहा था।
एक महिला ने आरोप लगाया है कि तीन साल पहले जब उसने प्रजापति से मुलाकात की थी, तब उन्होंने उसके साथ दुष्कर्म किया था। महिला का आरोप है कि वह नींद की दवा मिली चाय पीकर बेहोश हो गई थीं। प्रजापति ने पीड़िता की तस्वीरें भी खींची और उन्हें सार्वजनिक करने की धमकी देकर उसके साथ दो सालों तक दुष्कर्म करते रहे।
उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री प्रजापति के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। प्रजापति अभी फरार हैं। –आईएएनएस
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