निर्भया गैंगरेप कांड के चारों दोषियों को फांसी की सजा

नई दिल्ली, 05 मई (जनसमा)। देश को दहला देने वाले निर्भया मामले पर उच्चतम न्यायालय ने सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों – मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को मौत की सजा सुनाई। यह घटना 16 दिसम्बर, 2012 की है। उच्‍च न्‍यायालय ने 13 मार्च 2014 को चारों दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई थी, जिस पर उच्‍चतम न्‍यायालय ने 27 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

सर्वोच्च न्यायालय ने इस केस को ‘रेयरेस्ट आॅफ रेयर’ केस की संज्ञा दी और कहा कि जिस तरह दोषियों ने इस घटना को अंजाम दिया उससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह किसी दूसरी दुनिया की कहानी है।

न्‍यायमूर्ति दीपक मिश्र, आर भानुमती और अशोक भूषण की पीठ  ने देश को दहला देने वाले निर्भया मामले पर फैसला सुनाया।

16 दिसंबर 2012 को  दक्षिणी दिल्‍ली में 23 वर्षीय छात्रा के साथ चलती बस में छह लोगों ने दुष्‍कर्म किया था। बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्‍पताल में छात्रा की मृत्‍यु हो गई थी। दिल्‍ली पुलिस ने इसे जघन्‍य अपराध बताते हुए अभियुक्‍तों को फांसी की सज़ा देने की मांग की थी। दूसरी तरफ बचाव पक्ष ने अपराधियों की गरीब पारिवारिक पृष्‍ठभूमि और युवावस्‍था पर विचार करते हुए सहानुभूति दिखाने का अनुरोध किया था। न्‍यायालय के वरिष्‍ठ व‍कील संजय हेगड़े ने पीठ से कहा कि अभियुक्‍तों के खिलाफ ऐसे ठोस सबूत नहीं हैं, जिनके आधार पर फांसी की सज़ा सुनाई जाए। दूसरे वकील राजू रामाचंद्रन ने न्‍यायालय से अभियुक्‍तों को आजीवन कारावास की सज़ा देने पर विचार करने का अनुरोध किया था।