नई दिल्ली, 28 नवंबर | पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह ने चेतावनी दी है कि पड़ोसी राज्य हरियाणा को पानी मुहैया कराने के लिए सतलज-यमुना लिंक नहर के निर्माण से पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद को फिर से सक्रिय कर सकता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ने आईएएनएस से एक साक्षात्कार में कहा कि सीमा के दोनों तरफ खालिस्तानी तत्व हैं जो पंजाब की धरती पर एक बार फिर आतंक फैलाने के लिए मौके के इंतजार में हैं।
पंजाब में 1970 के दशक से 1993 तक सिखों के लिए अलग स्वतंत्र देश की मांग लेकर उग्रवादियों ने शांति भंग कर रखी थी।
117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा का चुनाव वर्ष 2017 के शुरू में होना है। राज्य में सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन विपक्षी दल कांग्रेस और नई उभरी आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ मोर्चा खोलेगी।
74 वर्षीय वरिष्ठ नेता ने कहा, मालवा और दक्षिण पंजाब के अन्य क्षेत्रों के निवासियों को पानी देने से इनकार से हिंसा भड़क सकती है। उस क्षेत्र में पहले भी आनंदपुर साहिब प्रस्ताव 1973 (अकालियों द्वारा) पारित कर आतंकवाद की शुरुआत और नक्सलवाद का फैलाव देख चुका है।
अमरिंदर सतलज-यमुना लिंक मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के 10 नवंबर को आए फैसले के बाद संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब विधानसभा से वर्ष 2004 के उस कानून को असंवैधानिक करार दिया है जिसे अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री रहते पारित किया गया था। उस कानून का नाम पंजाब टर्मिनेशन ऑफ वाटर एग्रीमेंट एक्ट 2004 था।
अमरिंदर ने कहा कि यदि पंजाब में कांग्रेस सत्ता में लौटती है तो वह फिर से विधानसभा नदी जल की साझीदारी को लेकर कानून बनाने का कानूनी उपाय करेंगे।
उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों का हित सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। मैं किसी भी कीमत पर इस पर समझौता होने नहीं दूंगा ऐसा तब भी जब कांग्रेस नेतृत्व कल जाकर इस मुद्दे पर कोई विवादास्पद फैसला ले। –आईएएनएस
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