Tag Archives: ‘विधायिका’ खुद को बदले!

‘विधायिका’ खुद को बदले!

ऋतुपर्ण दवे=== देश की व्यवस्था में सुधार को लेकर वैसे तो हमारे नेता ही चिंतित होने का पाखंड करते हैं, लेकिन जब न्यायाधीश चिंतित हों, उनकी आवाज आवाम तक पहुंचे, तो मतलब सिर्फ और सिर्फ यही कि हमारे लोकतंत्र में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट…