वो धूल से उठे थे लेकिन माथे का चन्दन बन गए
“वो धूल से उठे थे लेकिन माथे का चन्दन बन गए। वो व्यक्ति से अभिव्यक्ति और इससे आगे बढ़कर शब्द से शब्दब्रह्म हो गए। वो विचार बनकर आए और व्यवहार बनकर अमर हुए।” संत कबीर दास जी ने समाज को सिर्फ दृष्टि देने का काम ही नहीं किया बल्कि समाज…