नई दिल्ली, 13 सितंबर | नोबेल विजेता साहित्यकार रवींद्रनाथ टैगोर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनका जीवन एक खुली किताब की तरह है, लेकिन इसके बावजूद टैगोर के जीवन की कुछ घटनाएं ऐसी हैं, जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है और उन्हीं में से एक है विक्टोरिया ऑकैम्पो। टैगोर, विक्टोरिया के संबंधों के इसी पहलू को फिल्म ‘थिंकिंग ऑफ हिम’ में दिखाया जाएगा।
विक्टोरिया अर्जेटीना की पत्रकार एवं लेखिका थीं। टैगोर के जीवन पर विक्टोरिया का गहरा प्रभाव पड़ा है। ‘थिकिग ऑफ हिम’ का ताना-बाना 1942 के ईद-गिर्द घूमता है। मजेदार, बात यह है कि दोनों की सिर्फ दो बार ही मुलाकात हुई है।
फिल्म को अंग्रेजी, स्पेनिश और बांग्ला भाषाओं में रिलीज किया जाएगा और यह फिल्म रंगीन और ब्लैक एंड व्हाइट दोनों रूपों में समानांतर चलेगी।
फिल्म में टैगोर की भूमिका बांग्ला के लोकप्रिय अभिनेता विक्टर बनर्जी निभा रहे हैं। विक्टर ने आईएएनएस को बताया, “मैं खुद को बड़ी ही आसानी से टैगोर से रिलेट कर पाता हूं। मैं अभिनेता के तौर पर बहुत स्वार्थी हूं। टैगोर की भूमिका निभाने का यह अनुभव पिछली बार की तुलना में अलग है।”
यह पूछने पर कि उन्हें फिल्म की कहानी कितनी प्रभावशाली लगी, वह कहते हैं, “मुझे फिल्म की कहानी से सिर्फ टैगोर से मतलब है।”
फिल्म की खास बात यह है कि इसमें दो कहानियां समानांतर चलती हैं। एक तरफ टैगोर और विक्टोरिया की कहानी है जो 1924 के काल में ब्लैक एंड व्हाइट में है जबकि दूसरी तरफ शांति निकेतन में भूगोल के एक शिक्षक और एक स्थानीय लड़की की कहानी है जो रंगीन पर्दे पर है।
फिल्म में विक्टोरिया के टैगोर के साथ संबंध को एक्सप्लोर किया गया है।
आज के परिदृश्य में इस तरह की फिल्मों की लोकप्रियता और दर्शकों को अपनी ओर खींचने की उनकी रणनीति के बारे में पूछने पर विक्टर कहते हैं, “फिल्म के प्रचार के लिए पाब्लो सीजर का नाम ही काफी है। उन्होंने अब तक बेहतरीन काम किया है।”
फिल्म में एक अहम किरदार निभा रही राइमा सेन ने आईएएनएस को बताया, “मैं फिल्म में कमली नाम की लड़की का किरदार निभा रही हूं, जिसका लालन-पालन एवं शिक्षा-दीक्षा शांति निकेतन में हुई है। वह टैगोर के बारे में अधिक जानने के लिए अर्जेटीना से भारत आए भूगोल के एक शिक्षक फिलिक्स की मदद करती है।”
राइमा कहती हैं, वह टैगोर से संबंधित कई फिल्मों और वृत्तचित्र में काम कर चुकी हैं। उन्होंने कहा, “मैंने फिल्म ‘चोखेर बाली’ और टैगोर पर बने एक वृत्तचित्र में भी काम किया है। लेकिन यह अनुभव अलग है, क्योंकि इस फिल्म में मैं टैगोर के जीवन से कोई किरदार नहीं निभा रही हूं।”
वह कहती हैं, “टैगोर भारत में, विशेष रूप से बंगाल के रोम-रोम में बसे हैं। इसलिए टैगोर के साथ खुद को जोड़ना अपने आप में एक कीर्तिमान है। इसके अलावा, मैंने कभी अंतर्राष्ट्रीय फिल्म में काम नहीं किया है और इस फिल्म का नाम इतिहास में दर्ज होने जा रहा है।
इस फिल्म का निर्माण भारत और अर्जेटीना के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा है। अर्जेटीना की सरकार ने इस फिल्म में निवेश भी किया है।
अर्जेटीना के मशहूर निर्देशक पाब्लो सीजर फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं। उन्होंने इस फिल्म के लिए खासा शोध भी किया है। पाब्लो ने आईएएनएस को बताया, “टैगोर के साहित्य का लैटिन अमेरिका में खासा प्रभाव देखा जा सकता है। विक्टोरिया का टैगोर के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा। विक्टोरिया के साथ टैगोर की इन दो मुलाकातों में ऐसा क्या था। यह सब फिल्म में दिखाया गया है।”
टैगोर के जीवन पर विक्टोरिया का इस कदर प्रभाव पड़ा कि टैगोर ने 1930 में ‘पूरबी’ नाम से एक काव्य संग्रह विक्टोरिया को समर्पित किया था। उन्होंने अपनी कविताओं में विक्टोरिया को ‘बिजोया’ नाम से संबोधित किया है। विक्टोरिया गुरुदेव के काम से प्रभावित थीं। दोनों की पहली मुलाकात 1924 में हुई थी। उस समय टैगोर यूरोप से पेरू जा रहे थे। उन्हें बीमारी की वजह से दो महीने ब्यूनेस आयर्स में रुकना पड़ा और इस दौरान विक्टोरिया ने उनकी देखभाल की। अर्जेटीना से वापस आने के बाद भी टैगोर, विक्टोरिया के बारे में सोचते रहे।
रीतू तोमर===
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