नई दिल्ली, 14 जुलाई (जनसमा)। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सरकार को सुझाव दिया है कि कुछ निर्दिष्ट अवधि के लिए या तो अकांउटिंग सॉफ्टवेयर पर से टैक्स हाटा लिया जाए या इसे 5% जीएसटी टैक्स स्लैब के दायरे में लाया जाए। वर्तमान में, सॉफ्टवेयर 18% के कर दर के अंतर्गत है। इसके अलावा कंप्यूटर मॉनिटर्स पर कर की दर 28% है जिसे सीपीयू के बराबर 18% टैक्स स्लैब के अंतर्गत लाया जाना आवश्यक है। इससे अधिकाधिक लोगों को डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जासकेगा।
कैट द्वारा गुरूवार को आयोजित सम्मेलन में यह मांग की गई। इस सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल मुख्य अतिथि थे।गोयल ने कहा, “सरकार ने 20 लाख तक टर्नओवर वाले व्यावसायिक कारोबार के तहत संचालित छोटे व्यापारियों को छूट भी प्रदान की है और साथ ही, उन व्यापारियों के लिए जिनकी वार्षिक कारोबार 75 लाख रुपये तक है के लिए कंपोजीशन स्कीम है जिसके तहत कोई बड़ी औपचारिकता नहीं है।”
उन्होंने कहा, “सरकार कर दरों में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगेगा। देश का विकास केवल कड़ी मेहनत द्वारा ही सुनिश्चित नहीं होगा बल्कि इसके लिए प्रौद्योगिकी और परिवर्तनों को तेजी से अपनाना होगा। ठीक इसी प्रकार व्यापारिक समुदाय को भी अपने व्यवसायों को तेजी से बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी को गले लगाने की है।”
कैट के अध्यक्ष बीसी भारतीया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने इस अवसर पर कहा, “हालांकि यह बेहद उत्साहवर्धक है कि देश के सबसे बड़े कर सुधार के लिए राष्ट्रव्यापी समर्थन मिल रहा है लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं और साथ ही व्यापारियों के व्यापार संबंधित मुद्दे भी हैं जिनका एक तर्कसंगत तरीके से निवारण किया जाना आवश्यक है।
जीएसटी के व्यापक प्रसार के लिए टैक्स दर स्लैब में असमानताएं और विसंगतियों को दूर किया जाना आवश्यक है। साथ ही, जीएसटी के बारे में जागरूकता द्वारा ही इसके अनुपालन दायित्वों के निर्बाध फैलाव को सक्षम बनाया जा सकता है और तभी भारतीय व्यापार एवं अर्थव्यवस्था पर इस सबसे बड़े कर सुधार का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यह देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाएगा।”
इस सम्मेलन में कई वस्तुओं पर उच्च जीएसटी दर के मुद्दे के अलावा व्यापारियों ने 31 मार्च, 2018 तक की अवधि घोषित करने पर भी जोर दिया, जिसका समर्थन कैट द्वारा भी किया गया ताकि पूरे देश में व्या पारियों को पूरी तरह से डिजिटलकृत प्रक्रियाओं को समझाया जा सके।
जीएसटी की कुशन निगरानी भी एक ऐसा मुद्दा है जिसके लिए कैट ने सरकार को जिला स्तर पर व्यापार प्रतिनिधियों के साथ जीएसटी समन्वय समिति का गठन करने का सुझाव दिया।
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