माननीय प्रधानमंत्री को बच्चों के मन की बात को समझकर तुरंत ऐसा फैसला लेना चाहिए जिससे युवा पीढ़ी देश के रचनात्मक विकास के लिए तैयार होसके, तिकड़मबाजों की भीड़ न बने। यह काम केवल और केवल मोदी जी ही कर सकते हैं।
दसवीं और 12 वीं कक्षा के पेपर लीक का मामला न केवल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने और करोड़ों बच्चों और उनके अभिभावकों को प्रताड़ित करने का मामला भी है।
सालों से चली आरही ढुलमुल परीक्षा व्यवस्था ने देश को एक ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां प्रतिभाएं हताश होरही हैं और संरक्षक बैचेन।
यह ठीक है कि प्रधानमंत्री ने इस पर चिन्ता व्यक्त की और शिक्षा मंत्री ने जांच कराने और दोषियों को दण्डित करने का ऐलान किया, किन्तु यह काफी नहीं है।
माननीय प्रधानमंत्री को बच्चों के मन की बात को समझकर तुरंत ऐसा फैसला लेना चाहिए जिससे युवा पीढ़ी देश के रचनात्मक विकास के लिए तैयार होसके, तिकड़मबाजों की भीड़ न बने। यह काम केवल और केवल मोदी जी ही कर सकते हैं।
संसद और विधानसभाओं में बैठने वाले राजनेताओं को यह सोचना चाहिए कि वो वोट की खोज के लिए दर दर घूमते फिरते हैं किन्तु देश में फैले सभी प्रकार की परीक्षाओं के मकड़जाल और पेपर लीक मामलों में सिर खुजाने के अलावा कोई काम नहीं करते। हालात देखकर यह भी कहा जासकता है कि इसप्रकार के मामलों में प्रभावशाली सत्ताधीशों और निर्णायकों की भूमिका संदेहास्पद होगई है।
दूसरी ओर खबरों में कहा गया है कि पेपर लीक के कारण केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई ने दसवीं कक्षा के गणित के पेपर और 12 वीं के अर्थशास्त्र के पेपर की परीक्षा का पुनरीक्षण करने का निर्णय लिया है।
बोर्ड ने कहा कि परीक्षाओं की तारीख और अन्य विवरण सीबीएसई वेबसाइट पर एक सप्ताह के भीतर पोस्ट कर दिए जाएंगे।
बोर्ड ने कहा कि बोर्ड परीक्षाओं की पवित्रता को बनाए रखने के लिए और विद्यार्थियों को निष्पक्षता के हित में बोर्ड ने परीक्षाओं काे फिर से कराने का निर्णय लिया है।
इस बीच मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा सरकार ने सीबीएसई पेपर लीक का संज्ञान लिया है।
नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुएए जावड़ेकर ने कहा, इस मामले की जांच चल रही है और पेपर लीक मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
उन्होंने छात्रों और उनके माता-पिता को आश्वासन दिया कि पेपर लीक की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी।
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