कोलकाता, 27 अगस्त | भारतीय स्टेट बैंक एसबीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को कहा कि बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं के वित्तपोषण को लेकर कुछ चिंताएं हो सकती हैं, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों से बैंकों की निकटता घटाने का प्रस्ताव किया है। एसबीआई के कार्यकारी निदेशक (अनुपालन एवं जोखिम) पी. के. गुप्ता ने कहा, “विशाल अवसंरचना परियोजनाओं, खासतौर से ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के वित्त पोषण को लेकर कुछ चिंता हो सकती है।
आरबीआई की कार्ययोजना में कहा गया है कि अप्रैल 2019 से कोई भी निकाय जो बैंकिंग उद्योग से 10,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक कर्ज लेना चाहता है, उसे बैंक अतिरिक्त वित्तीय जरूरतों के 50 फीसदी का ही वित्त मुहैया करा सकते हैं। बाकी रकम उसे इक्विटी या बाजार से जुटानी होगी।”
गुप्ता ने बताया, “नए नियमों के मुताबिक 2017-18 में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज के लिए बैंक केवल 50 फीसदी राशि ही मुहैया कराएंगे। बाकी की रकम उन्हें पूंजी बाजार से जुटानी होगी। नए नियमों में 2018-19 में इस नियम को 15,000 रुपये या उसके अधिक के कर्ज पर लागू किया जाएगा।”
हालांकि कंपनियों को बाजार से निधि जुटाने में खासतौर से बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं के लिए काफी मुश्किल होगी, क्योंकि अन्य कारणों के अलावा क्रेडिट रेटिंग जैसी व्यवस्था का न होना भी प्रमुख कारण है।
इस बारे में बंधन बैंक के कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सी. एस. घोष ने कहा, “इस नियम से बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों को परियोजनाओं के लिए विभिन्न स्रोतों से धन जुटाना होगा। लेकिन इससे बैंकों का बड़ी कंपनियों को ज्यादा बड़े कर्ज देने के जोखिम से बचाव होगा।”
–आईएएनएस
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