शिमला में खुला पहला ‘बुक कैफे’ : कैदी होंगे शैफ और वेटर

शिमला, 12 अप्रैल । शिमला में अपनी तरह का पहला ‘बुक कैफे’ शुरू किया गया है। इसका संचालन कैथू स्थित कारागार के कैदियों द्वारा किया जाएगा। आजीवन कारावास भुगत रहे जयचन्द एवं योगराज बुक कैफे में शैफ के रूप में काम करेंगे। इसके साथ ही राम लाल एवं राजकुमार नामक दो अन्य कैदी भी यहां आगंतुकों को पेय पदार्थ परोसेंगे।

मुख्यमन्त्री ने मंगलवार को यहां ऐतिहासिक ‘टक्का बैंच’ मैदान रिज पर 20 लाख रुपये की लागत से निर्मित प्रथम ‘बुक कैफे’ का लोकार्पण किया। मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि इंटरनेट निःसन्देह वर्तमान समय की एक बड़ी क्रांति है,लेकिन लिखित दस्तावेज कहीं अधिक मूल्यवान एवं महत्वपूर्ण हैं। इनके माध्यम से मस्तिष्क पर एक अमिट छाप अंकित हो जाती है। इस कैफे का वित्तपोषण पर्यटन विभाग द्वारा किया गया गया है।

टक्का बैंच एतिहासिक रिज मैदान से ऊपर प्रसिद्ध जाखू मन्दिर जाने वाले मार्ग पर सुरम्य स्थान पर है। यह कैफे पर्यटकों एवं स्थानीय निवासियों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। बुक कैफे में लोग पढ़ाई के साथ-साथ शिमला के शांत एवं रमणीय वातावरण का आनन्द भी उठा पाएंगे।

वीरभद्र सिंह ने इस अवसर पर कहा कि पुस्तकों का साथ मनुष्य को प्रकृति एवं आनन्द से रू-ब-रू करवाता है। एक अच्छी पुस्तक का प्रत्येक पृष्ठ श्रेष्ठ मानवीय विचारों का भण्डार है। उन्होंने आशा जताई कि बुक कैफे में समूचे विश्व की श्रेष्ठतम पुस्तकें उपलब्ध होंगी।

मुख्यमन्त्री ने इस अवसर पर कैदियों द्वारा कैफे चलाने के संबंध में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह एक अच्छा प्रयास है।